Rampur Tiraha Case: मुजफ्फरनगर में रामपुर तिराहा कांड मामले पर थोड़ी देर में फैसला आने वाला है, तिराहा कांड की गायब मूल पत्रावलियों की फोटोकॉपी के आधार पर साक्ष्य कराने के मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी हो चुकी है। रामपुर तिराहा कांड में अपर सत्र न्यायधीश कोर्ट नंबर सात शक्ति सिंह ने सीबीआई के आवेदन को स्वीकार करते हुए केस से जुड़े फोटो प्रतियों के आधार पर अग्रिम साक्ष्य कराने की अनुमति प्रदान कर दी है, अब मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 अगस्त की तारीख को की जाएगी.
मूल दस्तावेज गुम होने की स्थिति में फोटोकॉपी पर सुनवाई के लिए दोनों पक्षों ने अदालत में अपना-अपना पक्ष रख दिया है और अपर जिला जज व सत्र न्यायालय संख्या सात के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह में सुनवाई हुई। इस दौरान बचाव पक्ष ने कहा था कि फोटोकॉपी के आधार पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए, अदालत ने कहा कि फोटोकॉपी पर साक्ष्य कराए जाएंगे।
Rampur Tiraha Case:
मुजफ्फरनगर- रामपुर तिराहा कांड पर CBI की याचिका पर कोर्ट में सुनवाई हुई थी, CBI की फाइल से गायब केस के दस्तावेज हुए थे जिसके बाद CBI ने फोटो-स्टेट के आधार पर सुनवाई की मांग की थी. रामपुर तिराहा कांड के सरकार बनाम मिलाप सिंह केस को लेकर कोर्ट में बहस पूरी हो गई है। मूल दस्तावेज गायब होने के बाद फोटोस्टेट पर ही सुनवाई करने की सीबीआई की याचिका पर कोर्ट थोड़ी फैसला सुनाया गया है, हालांकि आरोपियों की ओर से इस मामले में लिखित आपत्ति दाखिल की गई थी।
Rampur Tiraha Case: दरअसल साल 1994 में अलग राज्य की मांग को लेकर उत्तराखंड में आंदोलन शुरू हुआ था और 1-2 अक्टूबर 1994 की रात देहरादून से दिल्ली जाते समय हजारों आंदोलनकारियों को मुजफ्फरनगर में रामपुर तिराहा पर रोक लिया गया। यहां पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच तीखी झड़प हुई, जिसके बाद पुलिस की फायरिंग में 7 आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। थाना छपार पुलिस ने इसमें अलग-अलग चार मुकदमे दर्ज किए थे, इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी। गंभीर धाराओं के सेशल ट्रायल मुकदमों की सुनवाई के लिए हाईकोर्ट ने जिले के अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर सात के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह को अधिकृत किया है।\