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अल्मोड़ा. पलायन आयोग की रिपोर्ट आने के बाद अब मतदाता सूची से जुड़े आंकड़े पहाड़ों में पलायन का बड़ा सच बयान कर रहे हैं. राज्य में अल्मोड़ा और पौड़ी ज़िलों में ही सबसे ज़्यादा पलायन हुआ है और इसकी गवाही दे रहा है वोटरों से जुड़ा डेटा. अल्मोड़ा ज़िले में पिछले पांच सालों में मतदाताओं की संख्या 5831 ही बढ़ी है. इनमें भी रानीखेत और सल्ट विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां वोटरों की संख्या बीते 5 सालों में कम हो गई है. इन चौंकाने वाले आंकड़ों को लेकर सियासत चरम पर है क्योंकि कांग्रेस का आरोप है कि पहाड़ों में लगातार मांग को लेकर भी राज्य की बीजेपी सरकार ने विकास कार्य नहीं किए.
अल्मोड़ा की ज़िला निर्वाचन अधिकारी वंदना सिंह ने युवा वोटरों से अपील करते हुए कहा है कि वो जल्द से जल्द अपना नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाएं. खासकर वो वोटर जो हाल में, वयस्क हुए हैं. वोटर लिस्ट से जुड़े आंकड़े देते हुए सिंह ने बताया कि अल्मोड़ा ज़िले की 6 विधानसभाओं में 2017 में 5,25,432 मतदाता थे, जो अब बढ़कर 5,31,263 हो गए हैं. यानी पिछले पांच सालों में करीब 6000 मतदाता ही बढ़े हैं. ये आंकड़े साफ तौर पर दर्शाते हैं कि पहाड़ में पलायन के हालात किस कदर चिंताजनक हो चुके हैं.
क्या हैं असेंबली सीटों के आंकड़े?
अल्मोड़ा ज़िले में कुल 6 विधानसभा सीटें आती हैं : अल्मोड़ा, जागेश्वर, द्वाराहाट, रानीखेत, सल्ट और सोमेश्वर. इनमें से सल्ट विधानसभा के उपचुनाव में 96,241 वोटर थे, जो अब घटकर 95,391 रह गए हैं. इसी तरह, रानीखेत में पिछले चुनाव में 78,577 मतदाता थे, जो अब घटकर 78,011 रह गए हैं. यानी इन दोनों क्षेत्रों में क्रमश: करीब 1000 और 500 वोटर कम हो गए हैं. अन्य चार विधानसभाओं में मतदाताओं की संख्या में मामूली बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है.
आखिर क्यों हो रहा है पलायन?
पहाड़ के युवा रोज़गार की तलाश में तेज़ी से मैदान का रुख कर रहे हैं, जिनमें से काफी कम संख्या में युवा पहाड़ लौट रहे हैं. इसके साथ ही गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य सहित मूलभूत सुविधाओं की कमी है. कांग्रेस नेता और सदन में उपनेता प्रतिपक्ष करन महरा का कहना है कि भाजपा सरकार ने यहां विकास को नज़रअंदाज़ किया है. महरा ने कहा कि लगातार रानीखेत पंपिंग योजना, स्कूलोंं में टीचर और अस्पतालों में डॉक्टर की मांग की जाती रही, लेकिन कोई सकारात्मक काम नहीं हुआ.
गौरतलब है कि पिछले ही दिनों सामने आई पलायन आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि अल्मोड़ा और पौड़ी ज़िले पलायन से सर्वाधिक प्रभावित रहे. यहां ऐसे कई गांव हैं, जहां कभी 150 परिवार हुआ करते थे, अब केवल 10-12 परिवार ही रहते हैं. स्थिति यह है कि अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखंड से करीब 60 प्रतिशत आबादी यानी 32 लाख लोग अपना घर छोड़ चुके हैं. अल्मोड़ा की भिकियासैंण विधानसभा सीट को 2012 के परिसीमन के बाद पलायन के चलते ही खत्म कर दिया गया था.
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