Haridwar: धर्मनगरी हरिद्वार में शिवालिक पर्वत माला पर मां चंडी देवी का पौराणिक मंदिर हैं, जहां मां चंडी दो रूपों मे विराजमान है एक रूप मां का रौद्र रूप में हैं, जो खंभ के रूप में है और दूसरा मंगला चंडी मूर्ति रूप में विराजमान हैं। चंडी चौदस पर भक्तों की भारी संख्या देखने को मिली चंडी देवी मंदिर ऐसा मंदिर है, जहां मां चंडी खंभ के रूप में स्वयं प्रकट हुई थी।
हिमालय की सबसे दक्षिणी पर्वत श्रृंखला शिवालिक पहाड़ियों के पूर्वी शिखर में नील पर्वत के ऊपर स्थित है। नवरात्रों के बाद चंडी चौदस पर देश के कोने कोने से माता के भक्त अपनी मनोकामना लेकर यहां पहुंचे है। मंदिर के पुजारी आचार्य पंकज रतुड़ी का कहना है की राक्षसो ने देवता इंद्र के राज्य पर कब्जा कर लिया था तब देवताओं की प्रार्थना के बाद माता पार्वती ने चंडी के रूप को धारण किया और राक्षसों के सामने प्रकट हुईं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी स्थान पर माता खंबे के रूप में प्रकट हुई थी। नवरात्रो के बाद चंडी चौदस का विशेष महत्व: होता है और मां चंडी देवी के दरबार में पूरे साल ही भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्रि से लेकर चंडी चौदस तक यहां पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है जो भी श्रद्धालुओं के द्वारा यहां सच्चे मन से जो मनोकामना की जाती है वह मां पूरा करती है और श्रद्धांलुओं की मनोकामना पूर्ण होने के बाद विशेसकर माता कों हलवा पूड़ी और नारियल प्रशाद चढ़ाने श्रद्धालू भारी संख्या मे माँ चंडी देवी मंदिर मे दर्शन करने आते है।