नमिता बिष्ट
भूकंपीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील राज्य उत्तराखंड में भूकंप अलर्ट सिस्टम को अधिक प्रभावी बनाने के लिए 350 नए स्थानों पर सेंसर लगाए जाएंगे। इसके लिए यूएसडीएमए की ओर से 58 करोड़ रुपये का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया गया है।
एप से आमजन को तत्काल मिलेगा अलर्ट
बता दें कि उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, आपदा प्रबंधन विभाग यानि यूएसडीएमए और आईआईटी रुड़की की ओर से तैयार किए गए मोबाइल एप्लीकेशन ‘उत्तराखंड भूकंप अलर्ट’ एप को अपग्रेड किया जाएगा। इस के लिए नए स्थानों पर सेंसर लगाने का फैसला लिया गया ताकि भूकंप की प्री-वेब का अधिक प्रभावी ढंग से मापन होने के साथ भूकंप अलर्ट एप के माध्यम से आमजन को तत्काल अलर्ट मिल सके।
उत्तराखंड में अभी 163 सेंसर
उत्तराखंड में वर्तमान में 163 सेंसर लगे हैं। 350 नए सेंसर लगने पर प्री-वेब को ज्यादा प्रभावी ढंग से मापा जा सकेगा। इस एप के माध्यम से चार मैग्नीट्यूड का भूकंप आने पर भी अलर्ट मिल सकेगा। यही नहीं देश और विश्व में कहीं भी भूकंप आने पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के तहत सिस्टम इसका विश्लेषण करेगा।
केंद्र को भेजा गया प्रस्ताव
वरिष्ठ आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ, विश्व बैंक परियोजना गिरीश जोशी ने बताया कि भूकंप अलर्ट एप सेंसर आधारित प्रणाली पर काम करता है। अभी तक हमारे यहां चकराता से लेकर पिथौरागढ़ तक करीब 163 सेंसर लगे हैं, जिसने प्राप्त होने वाले इनपुट के आधार पर अलर्ट एप भूकंप आने की स्थिति में बीप बजाता है। लेकिन सटीक चेतावनी प्रणाली विकसित करने के लिए सेंसर बढ़ाने की आवश्यकता है। आईआईटी रुड़की के प्रस्ताव पर करीब 58 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेज दिया गया है।
दिल्ली सहित आसपास राज्यों को भी मिलेगा फायदा
गिरीश जोशी ने बताया कि केंद्र यदि इस प्रस्ताव को नामंजूर भी करता है तो उत्तराखंड दूसरी मदों से इस बजट की पूर्ति करेगा। आने वाले समय में राज्य में 500 से अधिक सेंसर स्थापित करके मौजूदा नेटवर्क को और अधिक सघन बनाया जाएगा। इसका उद्देश्य न्यूनतम 5-10 किमी की दूरी पर कम से कम एक सेंसर लगाना है। उन्होंने कहा कि इन सेंसर का फायदा केवल उत्तराखंड ही नहीं दिल्ली सहित आसपास के राज्यों को भी होगा।
6 से 12 नवंबर के बीच 8 बार लगे भूकंप के झटके
बता दें कि इस माह 6 नवंबर से 12 नवंबर के बीच उत्तराखंड और इसकी सीमा से लगे नेपाल में कुल आठ छोटे-बड़े भूकंप के झटके आए हैं। इनकी तीव्रता 3.4 से 6.3 मैग्नीट्यूट तक थी। हालांकि इससे जान-माल का बड़ा नुकसान तो नहीं हुआ, लेकिन भविष्य में बड़े भूकंप के खतरे के संकेत जरूर मिले हैं। बता दें कि उत्तराखंड देश में पहला ऐसा राज्य है, जिसने प्रारंभिक भूकंप चेतावनी प्रणाली विकसित की है, लेकिन इसमें अभी सुधार की बहुत गुंजाइश है।
ये जिले अति संवेदनशील जोन-पांच के अंतर्गत
भूकंप के दृष्टिकोण से देखें तो उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले अति संवेदनशील जोन-5 के अंतर्गत हैं। जबकि हरिद्वार, पौड़ी, अल्मोड़ा, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल व चंपावत जिले संवेदनशील जोन-5 में आते हैं।
Thank you for your sharing. I am worried that I lack creative ideas. It is your article that makes me full of hope. Thank you. But, I have a question, can you help me?
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