पहाड़ में गीता बना रहीं पिरुल से अनोखी राखियां, उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में भी हो रही राखी की डिमांड

नमिता बिष्ट

नैतिकता, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और सफलता भी हमारी इच्छा शक्ति पर ही निर्भर करती हैं। ऐसा कोई भी कार्य नहीं होता है जिसमें परेशानी न आए, लेकिन मन में अगर दृढ इच्छा शक्ति, लगन और जूनून हो तो कोई भी कार्य कठिन नहीं होता। ऐसा ही साबित कर रही है अल्मोड़ा जिले के चमकना गांव मानिला की गीता पंत। जी हां… गीता पंत पढ़ाई के साथ-साथ चीड़ के पिरुल से अनोखी राखियां बना रही है। इन रंग बिरंगी राखियों की डिमांड सिर्फ उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी हो रही है।

चीड़ के पिरूल से अनोखी राखियां

सल्ट ब्लाक निवासी गीता पंत लाल बहादुर शास्त्री संस्थान हल्दूचौड़ में बीएड चतुर्थ सेमेस्टर की छात्रा है। वह पढ़ाई करने के साथ ही इस स्वरोजगारपरक कार्य में भी जुटी है। बता दें कि चीड़ की पत्तियां यानि पिरूल से राखी बनाने का कार्य उन्होंने पिछले साल से शुरू किया। पिछले साल उन्होंने सैंकड़ों राखियां बनाकर अमेरिका के साथ ही उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों में भेजी। वहीं हल्द्वानी स्थित दृष्टिबाधित संस्थान को भी राखियां भेजी गईं। इससे उन्होंने 15 हजार की आय अर्जित की।

आकर्षक राखियों की बढ़ रही डिमांड

गीता पंत इस बार भी पिरूल से आकर्षक राखियां तैयार कर रही हैं। बताया की इस बार राखियों की डिमांड जम्मू कश्मीर के साथ ही गाजियाबाद, दिल्ली, देहरादून, नोएडा और फरीदाबाद से है। यह राखियां 45 रुपये से लेकर 50 रुपये तक की हैं। इस बार उन्हें राखियों का कारोबार पिछले साल की तुलना में बेहतर होने की उम्मीद है।

उद्यमी गीता पंत बताती है कि पिरूल से बनीं राखियों की मांग देश के विभिन्न राज्यों से बढ़ती जा रही है। इन राखियों के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ रहा है। जल्द ही एक संस्था का गठन कर इस कार्य को वृहद रूप दिया जाएगा। ताकि महिलाएं स्वरोजगार अपना कर आत्मनिर्भर बन सकेंगी।

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