उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद का मरोड़ा गांव भी जोशीमठ की तरह ही आपदा का दंश झेल रहा है। मरोड़ा गांव में आपदा के पीछे की वजह और कुछ नहीं बल्कि विकास की है। दरअसल, मरोड़ा गांव रेल परियोजना से प्रभावित है। गांव के नीचे टनल निर्माण से यहां भारी भू-धंसाव हुआ है, जिसके चलते गांव के कई घर जमींदोज हो चुके हैं, जबकि कई घरों पर मोटी दरारें पड़ी हुई हैं, जो कभी भी ढह सकते हैं। जिन प्रभावित परिवारों को अभी तक मुआवजा नहीं मिल पाया है, वह अभी भी मौत के साये में टूटे-फूटे मकानों में रहने को मजबूर हैं। ऐसे हालातों में यहां कभी भी कोई बड़ा हादासा होने का अदंशा लगातार बना हुआ है।
बता दें कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल निर्माण का कार्य जोर शोर से चल रहा है। पहाड़ों में भूस्खलन होने की आशंकाओं को देखते हुए अधिकांश जगह रेल टनल से होकर गुजरेगी। इसी कड़ी में रुद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि ब्लाक के मरोड़ा गांव के नीचे भी टनल का निर्माण कार्य चल रहा है। लेकिन टनल निर्माण के चलते मरोड़ा गांव के घरों में मोटी-मोटी दरारें पड़ चुकी हैं। कई घर तो दरार पड़ने के बाद जमींदोज हो चुके हैं और कई होने की कगार पर हैं। जिन परिवारों को रेलवे की ओर से मुआवजा मिल गया है, वह तो दूसरी जगह चले गये हैं। लेकिन जिन परिवारों को मुआवजा नहीं मिल पाया है, वह मौत के साये में हीगांव में रहने को मजबूर हैं। हालांकि ग्रामीणों की सुरक्षा को देखते हुए प्रशासन ने गांव को खाली कर वहां रह रहे परिवारों को विस्थापन की तैयारी शुरू कर दी है।
गांव में रहने वाले सभी 70 परिवारों को मुआवजे के तौर पर बांटे जाएंगे। इसके लिए रेलवे की ओर से प्रशासन को 21 करोड़ रुपए दिए गए हैं, जो प्रभावित परिवारों को वर्तमान सर्किल रेट से बढ़े हुए मुआवजे के रूप में वितरित किया जाएगा। इसके साथ ही अभी अन्यत्र रह रहे करीब 27 परिवारों को किराये की राशि दी जा रही है, जबकि 10 से 12 परिवारों के लिए टिनशेड़ बनाए गए हैं। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित का कहना है कि मरोड़ा गांव में 70 परिवार प्रभावित हैं। उनके लिए रेलवे से बात कर पूरी तरह से विस्थापन की प्रक्रिया शुरू की थी।
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