विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल डोडीताल में अन्नपूर्णा देवी मंदिर के कपाट आज 19 अप्रैल को पर्यटकों के लिए खोल दिए गए हैं। इस अवसर पर असी गंगा घाटी के ग्रामीणों ने देवी देवताओं की डोलियों के साथ पहुंचकर मां अन्नपूर्णा व भगवान गणेश से सुख समृद्धि की कामना की। डोडीताल स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट हर वर्ष शीतकाल के लिए छह माह तक बंद किए जाते हैं। जिन्हें बैसाख कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के अवसर पर पुन: श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। इसी क्रम में मंगलवार को विशेष पूजा अर्चना के साथ मंदिर के कपाट खोले गए। इस अवसर पर सर्पनाथ देवता, नारायण देवता, नाग देवता, पांच पांडव देवता, दनवा देवता आदि देव डोलियों के साथ पहुंचे ग्रामीणों ने डोडीताल झील में स्नान कर मां अन्नपूर्णा व भगवान गणेश का आशीर्वाद लिया। इस दौरान ग्रामीणों ने देव डोलियों के साथ नृत्य किया।
भगवान गणेश का जन्म स्थान
डोडीताल को गणेश भगवान की जन्मस्थली कहा जाता है। यहां पर ही मां अन्नपूर्णा ने भगवान गणेश को जन्म दिया था, जिससे इस स्थान का स्थानीय ग्रामीणों के साथ ही पूरे देश भर के श्रद्धालुओं के मन में विशेष महत्व है। माना जाता है कि मां अन्नपूर्णा डोडीताल में स्नान के लिए आई थीं। यहीं पर उन्होंने भगवान गणेश को जन्म दिया था और स्नान के लिए गणेश को द्वारपाल बनाकर खड़ा किया था। गणेश जी को किसी को भी अंदर नहीं आने देने का आदेश था। कहा जाता है कि यहीं पर भगवान शिव को गणेश ने रोका था।
डोडीताल
उत्तरकाशी जिले में पहाड़ों के बीच बसा सुन्दर डोडीताल पर्यटकों के लिए आक्रषण का केंद्र है। डोडीताल समुद्रसतह से 3,310 मीटर की ऊंचाई पर उच्च पहाड़ों के बीच घिरा हुआ एक पन्ना झील है। यह ताल अपनी शांत एवं सुन्दर वातावरण के कारण उत्तर भारत के सबसे खूबसूरत उच्च ऊंचाई झीलों में से एक है। डोडीताल का नाम दुर्लभ हिमालय ब्राउन ट्राउन प्रजाति की मछलियों के नाम से रखा गया है। बताया जाता है कि किसी समय में कुछ विदेशी पर्यटकों ने झील में ब्राउन ट्राउन मछलियां पनपाई थी। यह झील बहुत कम जल निकायों में से एक हैं, जहां हिमालयी ब्राउन ट्राउट पाए जाते है। डोडीताल सुंदर झील, दुर्लभ प्रजातियां मछलियां और बर्फीले बुग्याल पर्यटकों का पसंदीदा स्थान बनता जा रहा हैं। लेकिन अभी भी सरकारी उपेक्षा के चलते यहां पर्यटक काफी कम पहुंचते हैं।