देवरिया ताल में 19 अगस्त को आयोजित होगा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का भव्य मेला,तैयारियां जोरों पर

रिपोर्ट: लक्ष्मण सिंह नेगी

ऊखीमठ। आगामी 19 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पर्यटक स्थल देवरिया ताल में लगने वाले एक दिवसीय मेले की तैयारियां जोरों पर है। हर साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर आयोजित देवरिया ताल महोत्सव में लोक संस्कृति जीवंत होकर मनोहार छठा बिखेरती है। इस मौके पर तीन स्थानों से श्रीकृष्ण की झांकी आकर्षण का केंद्र रहती है। साथ ही ग्रामीण बड़ी संख्या में पारंपरिक वस्त्र पहन लोकनृत्य प्रस्तुत करते हैं।

अनूठी है कृष्ण जन्माष्टमी मनाने की परंपरा

प्रमुख पर्यटन स्थल देवरिया ताल में सदियों से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर देवरिया ताल महोत्सव मनाया जाता रहा है। राज्य गठन के बाद इसे ग्रामीणों ने भव्य तरीके से मनाना शुरू किया। इस मेले में कई गांवों के ग्रामीण एकजुट होकर कान्हा जन्मोत्सव मनाते हैं। महोत्सव में ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर, सारी के भूतनाथ मंदिर तथा गैड़ से नागराजा मंदिर से भगवान श्रीकृष्ण की झांकी वाद्य यंत्रों के साथ देवरिया ताल पहुंचती है। इसके बाद सभी डोलियां भक्तों के साथ ताल की परिक्रमा करती हैं। महोत्सव में महिलाएं मांगलिक गीत गाती हैं और डोलियों के साथ खूब नृत्य करती हैं। वहीं ऊखीमठ ब्लॉक के सारी, दिलमी, करोखी, उषाड़ा, मनसूना, गैड़, उथिड सहित कई गांवों के लोग महोत्सव में आकर आनंदित होते हैं। देवरियाताल विकास महोत्सव समिति हर साल अपने स्तर से महोत्सव का आयोजन करवाती है।

नाग-नागिन का जोड़ा देता था दर्शन

दशकों पूर्व देवरिया ताल में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर नाग-नागिन का जोड़ा भक्तों को दर्शन देते थे, लेकिन एक बार एक नृत्य करने वाले मनुष्य के जोड़े ने नाग-नागिन से बार-बार दर्शन देने की गुहार लगाई जिसपर नाग-नागिन के जोड़े ने तीन बार दर्शन दिये। लेकिन अन्त में नाग-नागिन के जोड़े ने नृत्य करने वाले मनुष्य के जोड़े को लपेट कर तालाब में समा गए। तब से यहां नाग-नागिन ने भक्तों को दर्शन नहीं दिए।

देवरिया ताल में बिखरी है प्रकृति की छठा

रुद्रप्रयाग से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर देवरिया ताल एक खूबसूरत और मनमोहक पर्यटन स्थल है। देवरिया ताल तुंगनाथ घाटी के पर्यटक गांव सारी के शीर्ष पर बसा हुआ है। हरे भरे जंगलों से घिरी हुई यह मनमोहक और अद्भुत झील समुद्र तल से लगभग 2,438 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। चौपटा-उखीमठ रोड से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित देवरिया ताल का आकार कटोरे जैसा है। यह 400 मीटर लंबी और 700 मीटर चौड़ी है। इस झील के पानी में गंगोत्री, बदरीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और नीलकंठ की चोटियों का स्पष्ट प्रतिबिंब दिखाई देता है। देवरिया ताल के चारों तरफ मखमली बुग्याल व अपार वन सम्पदा से ढका हुआ है। देवरिया ताल को प्रकृति ने अपने वैभवों का भरपूर दुलार दिया है इसलिए वर्ष भर यहां पर्यटकों व सैलानियों का आवागमन जारी रहता है। शीतकाल में देवरिया ताल का सम्पूर्ण भूभाग बर्फबारी से लदक रहने से सैलानियों का आवागमन अधिक होता है।

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