हिमालय पर मंडरा रहा है खतरा, खोखली होती जा रही है पहाड़ियां, जानें क्या है ये पूरा मामला

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बागेश्वर. जिले में लगातार अंधाधुंध खड़िया खनन पहाड़ों के लिए खतरा बन गया है. पर्यावरण को ताक पर रखकर बेतहाशा खनन के पट्टे जारी किये जा रहें हैं. यह जिला जोन फाइव में है, जो भूकंपीय दृष्टि से अतिसंवेदनशील माना जाता है. इसे नजरअंदाज कर शासन-प्रशासन का फोकस सिर्फ राजस्व पर है. कम समय में अच्छे मुनाफे के खेल में खड़िया कारोबार में होड़ सी लग गई है.

इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कुछ ही सालों में जिले में तीन गुना से अधिक खड़िया खदानें चल रही हैं. 2011 में यहां 30 खदानें थीं, जो 2021 आते-आते 107 तक पहुंच गई, जबकि करीब 300 लोगों ने और आवेदन किया है. वकील हरीश जोशी कहते हैं कि भारी भरकम मशीनों के खड़िया दोहन से यहां पहाड़ों पर खतरा मंडरा रहा है. अगर सरकार इस तरह पहाड़ का सीना चीरती रही तो न पहाड़ बचेंगे और न यहां के गांव.

अफसर बोले- देहरादून से मंजूर हो रहीं खनन की फाइलें

खनन क्षेत्र के आस-पास भूस्खलन के कारण कई गांव खतरे की जद में हैं. हर साल लाखों टन खड़िया निकालने से पहाड़ धीरे-धीरे खोखले हो रहे हैं, तो वहीं सदियों पुराने जलस्रोत, नाले और धारे भी खत्म हो रहे हैं. एक अधिकारी बताते हैं कि सरकार देहरादून से फ़ाइल मंजूर कर रही है. साथ ही जिलास्तर पर ज्यादा से ज्यादा राजस्व बटोरने का दबाव अलग से बना रही है. अधिकारी आगे बताते हैं कि ऊपर से यहां तक कहा गया है कि मानकों में थोड़ी सी शिथिलता बरती जाय. अगर समय रहते सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, तो स्थिति काफ़ी खराब हो सकती है और आने वाली पीढ़ी के लिये शायद यहां रहने के लिये जगह ही न बचे.

खनन न रोका तो होगा पर्यावरण को बड़ा नुकसान

क्षेत्रीय पत्रकार विजय कार्की कहते हैं कि खनन के कारण पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. पहाड़ों की सुंदरता खोती जा रही है. अवैध खनन की गतिविधियों को रोका जाना चाहिए. इस संदर्भ में उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय द्वारा भी कई आदेश जारी किए गए हैं, जिसकी पालना सुनिश्चित होनी चाहिए. खड़िया कारोबार ने भले ही इससे जुड़े लोगों को समृद्ध किया हो, लेकिन दशकों से हो रहे खनन के कारण अब गांवों की बुनियाद खोखली हो गई है.

हिमालय के लिए भी है खतरा

आबादी से दूर नाप खेतों में होने वाला खनन धीरे-धीरे घरों तक पहुंच रहा है. इससे कई स्थानों पर गांवों को खतरा पैदा हो रहा है. खड़िया निकालने के बाद बने विशाल गड्ढों में दुर्घटनाएं होती रहती हैं. हाल के वर्षों में मशीनों का प्रयोग बढ़ने से खतरे भी बढ़ रहे हैं. जिले में खड़िया खनन से लगभग 150 करोड़ का कारोबार हो रहा है. इसमें से खनन कारोबारियों की जेबें तो भरती ही हैं, लगभग 25 करोड़ का राजस्व सरकार की झोली में भी जाता है. अंधाधुंध खड़िया खनन पहाड़ ही नहीं हिमालय के लिये भी खतरा बन गया है.

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