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देहरादून. हरक सिंह रावत के इस्तीफे और मंत्री पद छोड़ देने के मामले में बड़ा मोड़ आ गया है और दावा किया जा रहा है कि भाजपा ने रावत को मना लिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ एक अन्य केंद्रीय मंत्री ने भी हरक सिंह के साथ बातचीत की है. इससे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी रावत को कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज के लिए बजट रिलीज़ करने का आश्वासन दिया था. भाजपा विधायक और हरक सिंह के करीबी उमेश शर्मा काऊ ने ये जानकारी देते हुए दोनों नेताओं के कांग्रेस में जाने की अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि कोई कहीं नहीं जा रहा है.
‘मैं इस्तीफा दे रहा हूं’ यह कहते हुए हरक सिंह रावत के कैबिनेट मीटिंग से शुक्रवार को नाराज़ होकर चले जाने के बाद से बीजेपी के भीतर हलचलें बढ़ गई थीं. कई तरह की अटकलें चल रही थीं लेकिन इस्तीफे की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई थी. शनिवार को बीजेपी की तरफ से काऊ ने सफाई देते हुए कहा कि कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए बजट दिया जाएगा और सीएम धामी ने हरक सिंह रावत को यह भी आश्वासन दिया है कि इस प्रस्ताव के लिए पैसों की कमी नहीं आने दी जाएगी. इसके बाद से ही मामले का सुलझना बताया जा रहा है.
अब मरकर ही बीजेपी छोडूंगा : काऊ
वास्तव में हरक सिंह और काऊ के कांग्रेस में वापसी करने को लेकर अटकलें चल रही हैं, लेकिन इस बीच ने काऊ ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि कोई कहीं नहीं जा रहा है. ‘हम सब साथ आए थे, साथ हैं. कोई पार्टी नहीं छोड़ेगा.’ काऊ ने यह भी कहा कि ‘अब मैं तो मरकर ही बीजेपी छोड़ूंगा.’ काऊ के इन बयानों के बाद अन्य प्रमुख बीजेपी नेताओं के बयान भी आ गए हैं, जिनके बाद अटकलों पर फिलहाल विराम लग रहा है.
क्या बोले मदन कौशिक और धन सिंह रावत?
देहरादून पहुंचे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि हरक सिंह रावत से उनकी बातचीत हो गई है और हरक सिंह नाराज़ नहीं हैं. कौशिक ने कहा, ‘पार्टी में सब ठीक है, कोई किसी से नाराज़ नहीं है.’ इस बातचीत के बाद उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने कहा, ‘पार्टी में सब चकाचक है. कोई पार्टी नहीं छोड़ रहा है.’ धन सिंह ने साफ तौर पर कहा कि कोटद्वार में मेडिकल कॉलेजे के लिए सीएम धामी ने 5 करोड़ की राशि रिलीज़ कर दी है.
ये है हरक सिंह की प्रेशर पॉलिटिक्स?
इससे पहले भी पिछले कुछ महीनों में हरक सिंह ने दबाव बनाने की राजनीति की है और बीजेपी को हर बार बैकफुट पर ही आना पड़ा है. पुष्कर धामी को मुख्यमंत्री बनाए जाने का मामला रहा हो या कर्मकार बोर्ड का विवाद, हर बार हरक सिंह रावत को मनाने के लिए बीजेपी को उनकी बात माननी ही पड़ी है. अहम विभाग और अधिकार देकर उन्हें संतुष्ट किया जाता रहा है. इस बार भी हरक सिंह के प्रस्ताव पर बीजेपी को सहमत होना पड़ा.
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