Prayagraj: सोमवती अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

Prayagraj:  सोमवती अमावस्या के मौके पर यूपी में प्रयागराज के संगम में श्रद्धालुओं ने अस्था की डुबकी लगाई, लोगों ने त्रिवेणी संगम पर पवित्र स्नान किया और पूजा की। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन किए गए दान से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है, सोमवती अमावस्या को चैत्र अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।

सोमवती अमावस्या के दिन सुहागिन स्त्रियां पीपल की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। तीर्थ पुरोहित गोपाल पंडा ने कहा कि “इसका महत्व बहुत बड़ा है। हमारे पांचों पांडव इसी महत्व के लिए …त्याग दिया। सोमवती उनके युग में पड़ी ही नहीं और हिमालय में गल गए सब और उन्हीं का श्राप है कि जाओ बार-बार…. फिर भी जनता इतनी सुंदर है, महान है, उसका सम्मान करते हैं। आये दिन लोग डुबकी लगाते हैं, 108, 21, अपने पति की शुभकामनाएं के लिए, उनकी आयु बड़ी रहे और नए-नए प्रकार का दान पुण्य किया करते हैं और संगम में नहाते हैं। इसका विशेष महत्व है कि हम कोई इच्छा करके नहाएंगे, मेरी इच्छा पूरी हो जाएगी।”

तीर्थ पुरोहित गोपाल पंडा ने बताया कि “इसका महत्व बहुत बड़ा है। हमारे पांचों पांडव इसी महत्व के लिए …त्याग दिया। सोमवती उनके युग में पड़ी ही नहीं और हिमालय में गल गए सब और उन्हीं का श्राप है कि जाओ बार-बार…. फिर भी जनता इतनी सुंदर है, महान है, उसका सम्मान करते हैं। आये दिन लोग डुबकी लगाते हैं, 108, 21, अपने पति की शुभकामनाएं के लिए, उनकी आयु बड़ी रहे और नए-नए प्रकार का दान पुण्य किया करते हैं और संगम में नहाते हैं। इसका विशेष महत्व है कि हम कोई इच्छा करके नहाएंगे, मेरी इच्छा पूरी हो जाएगी।”

श्रद्धालुओं का कहना है कि “धार्मिक दृष्टिकोण से सोमवती अमावस्ता का बहुत बडा़ महत्व माना गया है। हमारे यहां इसका इतना बड़ा महत्व है कि बड़े विश्वास के साथ जो हम लोगों की बहू हैं, बेटियां हैं, पत्नी है, माताएं हैं वो अपने सुहाग के उत्थान के लिए इतना विश्वास के साथ भगवान का पुजन करती हैं, पीपल के पेड़ के 108 फेरियां देती हैं। इससे हम सबको विश्वास बना रहता है कि इस दिन जो हमारे कार्य हुए, जैसे संगम का स्नान हुआ, गंगा जी का पुजन-अर्चन करते हैं। इस अनुष्ठान में आप जो भी करें उसे 108 बार करना चाहिए। ये पतियों की लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता है।”

 

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