Devuthani Ekadashi: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज समेत देश के बाकी हिस्सों में देवउठनी एकादशी धूमधाम से मनाई गई। मान्यता है कि इसी दिन माता तुलसी और भगवान विष्णु जिन्हें नारायण भी कहा जाता हैं, का विवाह हुआ था। इसलिए इसे तुलसी विवाह भी कहा जाता है।
इस मौके पर काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने यमुना में पवित्र स्नान किया और फिर महिलाओं ने यमुना किनारे पूरे विधि-विधान से नाच-गाकर तुलसी विवाह किया।
श्रद्धालुओं का कहना है कि “तुलसी माता, भगवान शालिग्राम का विवाह है और जैसे पूरे रीति-रिवाज से होता है, वैसे ही उनका विवाह किया गया। पांव पुज्जी किये हम लोग, उनका पूजा-पाठ किये और आज भगवान विष्णु अपनी निद्रा से जागेंगे। आज कातिक माह का एकादशी है, आज से शुभ विवाह चालू हो जाता है। तुलसा हमारे शालिग्राम भगवान का आज अच्छे से शादी-विवाह, जैसे लड़की-लड़का का होता है, वैसे ही तुलसा महारानी शालिग्राम भगवान का विवाह होता है। विष्णु भगवान आज जागते हैं चार महीने के बाद।”
हिंदू पंचांग में देवउठनी एकादशी के साथ ही शादी-विवाह समेत बाकी शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। माना जाता है कि भगवान विष्णु इसी दिन अपने चार महीने के शालिग्राम रूप से जागते हैं और मां तुलसी से विवाह करते हैं। मान्यता है कि तुलसी जी और शालिग्राम की कृपा से विवाह में आने वाली अड़चने दूर होती हैं और शादीशुदा जीवन में भी खुशियां बनी रहती हैं।