Art Museum: मेरठ के मेरठ विकास प्राधिकरण में बिल्डिग में काफी दिनों से इखठ्ठा हो रहे कबाड़ को बेच कर बिल्डिंग के बेसमेंट में एक कला संग्रहालय तैयार किया है, जिसका नाम “चौपला” रखा गया है. यह कला संग्रहालय उन लोगों के लिए बनाया गया है। जो अपनी कला को सामने लाना चाहते हैं, वह “चौपला” कला संग्रहालय में अपनी प्रदर्शनी बिल्कुल निशुल्क लगा सकते हैं।
मेरठ विकास प्राधिकरण ने चौपला कला संग्रहालय को उस जगह बनाया है, जो जगह कभी मेरठ विकास प्राधिकरण की बिल्डिंग बेसमेंट में पार्किंग और डंपिंग यार्ड के लिए इस्तेमाल हो रही थी. यहां काफी कबाड़ भरा था. मेरठ विकास प्राधिकरण के वीसी अभिषेक पांडे की पहल पर इस डंपिंग यार्ड में पड़ा कबाड़ 25 लाख रुपए में बिका और इस चौपला कला संग्रहालय को तैयार करने में 18 लाख रुपए का खर्चा आया.
Art Museum:
मेरठ विकास प्राधिकरण की ओर से जनता को आकर्षित करने के लिए यहां पर मेरठ में बनने वाले स्पोर्ट्स के समान ,मेरठ के कलाकारों द्वारा बनाई गई पेंटिंग और मेरठ का अट्ठारह सौ सत्तावन का इतिहास , साथ ही मेरठ में बनने वाली कैंची और क्रिकेट बैट आकर्षण का केंद्र हैं.
मेरठ विकास प्राधिकरण ने इस कला संग्रहालय की परिकल्पना ऐसे मंच के रूप में की है. जहां युवा अपनी प्रतिभा दिखा सकें यहां पर बाकायदा एक मंच भी बनाया गया है. जहां पर कोई कलाकार पेंटर अपनी पेंटिंग तैयार कर सके और साथ ही अपनी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी भी लगा सके.
Art Museum: इस कला संग्रहालय में जितनी भी पेंटिंग्स लगी है. वह सभी मेरठ के कलाकारों द्वारा डोनेट की गई है. कला संग्रहालय में पूरा इस बात पर भी ध्यान रखा गया है कि लोग अपनी कलाकृतियों को यहां लगा सके और अपनी प्रतिभा लोगों को दिखा सकें. कला संग्रहालय में मेरठ के अट्ठारह सौ सत्तावन की यादों को भी ताजा किया गया है और मेरठ के इतिहास को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है
मेरठ विकास प्राधिकरण के वीसी अभिषेक पांडे ने बताया कि केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के निर्देश हैं सरकारी कार्यालय को स्वच्छ एवं आमजन के लिए आकर्षक बनाया जाए. आमजन का जब सरकारी कार्यालय में आना जाना बढ़ता है तो कार्यों में पारदर्शिता आती है. जन सामान्य से जो हमें सुझाव मिलते हैं. उससे हमारी कार्यपद्धती भी सुधरती है.
उन्होंने बताया की हमारे यहां बिल्डिंग के बेसमेंट में काफी ऐसी चीजें थी जिनका कोई उपयोग नहीं हो रहा था. कबाड़ के रूप में रखी थी, जिससे वह एक प्रकार का डंपिंग यार्ड बन गया था. इससे बिल्डिंग का तो नुकसान हो रहा था साथ ही जो कार्यालय की छवि भी स्वच्छ कार्यालय के रूप में नहीं हो रही थी. इस वजह से हमने निर्णय लिया कि हम पूरे स्पेस का कायाकल्प कराकर एक कम्युनिटी आर्ट गैलरी की स्थापना करें. इस कम्युनिटी आर्ट गैलरी का उद्देश्य है, कि मेरठ की जितनी भी प्रतिभाएं है जो कला और संस्कृति के क्षेत्र से जुड़ी हैं उन्हें एक छत के नीचे अपनी कला के प्रदर्शन के लिए मंच उपलब्ध कराया जा सके. साथ ही साथ एक प्राधिकरण होने के नाते भविष्य के मेरठ की परिकल्पना में आम जनमानस की सहभागिता बढ़ाने के लिए भी आर्ट गैलरी का निर्माण किया गया है. कला के माध्यम से हमारे नागरिक हमें बता दें कि वह भविष्य का मेरठ कैसा चाहते हैं.
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अभिषेक पांडे ने बताया कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में चौराहे को आम बोलचाल की भाषा में चौपला नाम दिया जाता है, चौपला नाम से पुकारा जाता है. हमारा यह मानना है कि पूरे भारत में किसी भी शहर में शहर की जो मुख्य चर्चाएं होती हैं. वह किसी न किसी चौक चौराहे पर होती हैं क्योंकि हम चाहते थे इस आर्ट गैलरी के साथ बड़ी संख्या में आम नागरिक जुड़े इसलिए इसका नाम चौपला रखा गया है. ताकि आमजन इस गैलरी के साथ अपने आप को जोड़ सकें.
यहां पर आकर कोई भी अपनी पुस्तक का विमोचन कर सकता है. कोई अपनी पेंटिंग की एग्जिबिशन की लगा सकता है. उसके लिए शहर में कोई स्थान नहीं था. इसलिए उन लोगों को एक मंच भी दिया गया है. इसमें पूरी निशुल्क व्यवस्था है कोई पैसा नहीं लिया जाएगा. कोई भी आमजन इस स्थल का फायदा उठा सकता है. प्रदर्शनी के लिए भी कोई पैसा नहीं लिया जाएगा. आज यहां 350 के आसपास पेंटिंग लगी है उनमें से एक भी कलाकृति खरीदी नहीं गई है. वह सारी कलाकृतियां मेरठ के लोगों ने आर्ट गैलरी को डोनेट की है. इसलिए यह एक सही मायने में कम्युनिटी आर्ट गैलरी है. इस गैलरी में मेरठ में कुटीर उद्योग और उद्योगों के लिए भी जगह दी गई है. जिन से मेरठ की एक अपनी पहचान है.
अभिषेक पांडे ने बताया कि काफी दिनों से यहां ऐसी वस्तुएं रखी गई थी, जिनका कोई उपयोग नहीं था. उनकी जब नीलामी हुई तो ₹25 लाख की आमदनी हुई और गैलरी की स्थापना में लगभग 18 लाख रुपए के आसपास की धनराशि लगी है.