शरीर के अंग अचानक हो जाते थे शून्य; हिम्मत नहीं हारी, हुनर निखारा, अब लंदन तक चर्चे

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जबलपुर. ‘जब हौसलों में जान हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है…,’ यह बात जबलपुर की जान्हवी रामटेकर पर पूरी तरह फिट बैठती है. किसी समय “कार्पेल टनल सिंड्रोम“ बीमारी से पीड़ित जान्हवी ने आज वह कारनामा कर दिखाया है जिसने उसे विश्व पटल पर ला दिया है. एक ऐसी खतरनाक बीमारी जिसमें शरीर का कोई भी अंग अचानक शून्य हो जाए और किसी काम न बचे, उससे जूझने के बावजूद जान्हवी आज दोनों हाथों से एक साथ और एक बार में जबरदस्त स्पीड से लिखती हैं. आज जान्हवी इस बीमारी को हराकर परिवार और शहर का नाम रोशन कर रही हैं.

उनकी इस कला की वजह से उन्हें “अम्बिडेक्सट्रोउस गर्ल“ (यानी दो हाथों से लिखने वाली) का खिताब भी मिला है. गौरतलब है कि अब जान्हवी न केवल लिखती हैं, बल्कि ड्रॉइंग करने में भी वह किसी से कम नहीं. ये काम भी वे दोनों हाथों से करती हैं. उनकी सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ उनके माता-पिता का है. उनकी ही हौसला अफजाई और विश्वास ने आज जाहन्वी को इस मुकाम पर खड़ा किया है. जान्हवी बताती है कि 10वीं बोर्ड की परीक्षा में जब उसे कोई राइटर नहीं मिला, तब माता-पिता की समझाइश पर उन्होंने अपने बाएं हाथ से लिखना शुरू किया. आज आलम यह है कि वे बाएं हाथ से भी उसी स्पीड में लिखती हैं, जितनी स्पीड से दाएं हाथ से.

सिग्नेचर कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

जान्हवी ने जब दोनों हाथों से लिखने में खुद को पारंगत पाया तो मई 2020 में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में खुद का नाम दर्ज कराया और उसके बाद इस साल 13 नवंबर को उन्होंने लंदन के हार्वर्ड  वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी अपना नाम दर्ज करवा लिया. उन्होंने 1 मिनट में दोनों हाथों से एक ही बार में 36 बार सिग्नेचर याने हस्ताक्षर करने का कीर्तिमान अपने नाम किया है. जाहन्वी  अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं. उनके माता-पिता भी अपनी बेटी पर गौरवान्वित महसूस करते हैं. उन्हें भरोसा था कि जान्हवी इस बीमारी को हराकर आगे बढ़ेगी. गंभीर बीमारी से जूझने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और आज वह न केवल अपने परिवार बल्कि शहर का नाम भी विश्व में रोशन कर रही हैं.

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