Sanchar Saathi: दूरसंचार विभाग (DoT) के जरिए 28 नवंबर को जारी एक दिशा-निर्देश के अनुसार, अब हर एक स्मार्टफोन्स में ‘संचार साथी’ एप का प्री-इंस्टॉलेशन जरूरी होगा। यानी सभी मोबाइल कंपनियों को ये आश्वस्त करना होगा कि वे अपने स्मार्टफोन्स में ‘संचार साथी’ एप अनिवार्य रूप से रखें, कंपनियों को इस नियम को लागू करने के लिए 90 दिन का समय दिया गया है।
दूरसंचार विभाग ने मोबाइल कंपनियों को आदेश दिया है कि सभी नए स्मार्टफोन्स में 90 दिनों के भीतर संचार साथी एप प्री-इंस्टॉल हो। यह एप IMEI फ्रॉड, फर्जी कॉल और चोरी हुए फोन की शिकायत दर्ज करने में मदद करता है। विपक्ष इसे ‘निगरानी एप’ बताकर विरोध कर रही थी पर अब इस पर केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का बड़ा और राहत देने वाला बयान आया है।
मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का बयान-
संचार साथी एप को लेकर जारी बहस पर केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विपक्ष की आलोचनाओं को सख्ती से खारिज किया। मंत्री ने कहा कि जब विपक्ष के पास ठोस मुद्दे नहीं होते, तो वे जबरदस्ती विवाद खड़ा करने की कोशिश करते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार का मुख्य उद्देश्य केवल उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
सिंधिया ने बताया कि संचार साथी पोर्टल को अब तक 20 करोड़ से ज्यादा लोग इस्तेमाल कर चुके हैं, जबकि एप के 1.5 करोड़ से अधिक डाउनलोड हो चुके हैं। उनके मुताबिक, इस प्लेटफॉर्म की मदद से करीब 1.75 करोड़ फर्जी मोबाइल कनेक्शन बंद किए गए हैं। साथ ही, 20 लाख चोरी हुए मोबाइल फोन ट्रेस किए गए और 7.5 लाख से अधिक मोबाइल उनके मालिकों को वापस किए गए हैं।
विवादों को लेकर मंत्री ने स्पष्ट किया कि संचार साथी एप किसी भी तरह की जासूसी या कॉल मॉनिटरिंग नहीं करता। उन्होंने कहा, “यह एप पूरी तरह वैकल्पिक है। इसे आप अपनी इच्छा से एक्टिवेट या डीएक्टिवेट कर सकते हैं। अगर नहीं चाहिए, तो इसे किसी भी अन्य एप की तरह डिलीट किया जा सकता है। हमारी कोशिश सिर्फ उपभोक्ता सुरक्षा को मजबूत करने की है” सिंधिया के मुताबिक, सरकार की जिम्मेदारी है कि इस एप की सुविधा हर उपभोक्ता तक पहुंचे, लेकिन फोन में रखना या न रखना पूरी तरह उपयोगकर्ता की पसंद पर निर्भर है।
क्या है नया आदेश?
28 नवंबर को जारी दिशा-निर्देश के मुताबिक, 90 दिनों के बाद भारत में बनने या आयात किए जाने वाले सभी मोबाइल फोन में संचार साथी एप पहले से मौजूद होना चाहिए। यह एप फोन सेटअप के दौरान आसानी से दिखाई दे और इसे हटाया या डिसेबल ना किया जा सके। सरकार ने साफ कहा है कि यह नियम सभी कंपनियों पर लागू होगा। चाहे वह एपल, सैमसंग, गूगल, शाओमी, वीवो या कोई दूसरा ब्रांड हो।
संचार साथी एप क्यों हुआ अनिवार्य?
संचार साथी एप मोबाइल सुरक्षा से जुड़े मामलों को रोकने के लिए बनाया गया है। इस एप के जरिए मोबाइल के IMEI नंबर की जांच की जा सकती है। IMEI से जुड़े किसी भी फर्जीवाड़े की शिकायत दर्ज की जा सकती है। एप से खोए या चोरी हुए फोन की रिपोर्ट दर्ज की जा सकती है। फर्जी कॉल या धोखाधड़ी की शिकायत भी की जा सकती है। सरकार के अनुसार, IMEI से छेड़छाड़ करना गंभीर अपराध है। यह गैर जमानती अपराध है और दूरसंचार अधिनियम 2023 के अनुसार इसमें 3 साल की जेल, 50 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
सरकार ने कहा है कि मोबाइल कंपनियां यह सुनिश्चित करें कि संचार साथी एप डिवाइस पर आसानी से दिखे। एप की सुविधाओं को डिसेबल किया या छुपाया ना जाए। जिससे उपयोगकर्ता एप को बिना किसी रुकावट के इस्तेमाल कर सकें। अगर निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो कंपनियों पर दूरसंचार अधिनियम 2023, दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियम 2024 सहित अन्य कानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
नए नियम-
इन एप्स को उपयोगकर्ता के एक्टिव सिम कार्ड से लगातार लिंक्ड रहना होगा। एप्स का वेब वर्जन हर 6 घंटे में ऑटो लॉगआउट होगा। दोबारा लॉग इन करने के लिए QR कोड स्कैन करके डिवाइस को फिर से लिंक करना होगा। इन कंपनियों को भी 120 दिनों में ऑडिट रिपोर्ट जमा करनी होगी।