Sanchar Saathi: संचार साथी ऐप से निजता खत्म होने का खतरा बताते हुए कांग्रेस सांसद सुरजेवाला ने जताई चिंता

Sanchar Saathi: राज्यसभा में कांग्रेस के सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला ने संचार साथी मोबाइल एप्लिकेशन को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि यह हर व्यक्ति के निजता अधिकार को पूरी तरह नकार देता है। शून्यकाल के दौरान उच्च सदन में यह मुद्दा उठाते हुए सुरजेवाला ने कहा कि ऐप की कई विशेषताओं को लेकर आशंका है कि इससे हर उपयोगकर्ता की वास्तविक समय की लोकेशन, सर्च हिस्ट्री, वित्तीय लेनदेन और एसएमएस व व्हाट्सऐप के जरिए होने वाली बातचीत की निगरानी हो सकती है।

कांग्रेस सदस्य ने कहा, ‘‘भारत सरकार, संचार मंत्रालय ने कथित तौर पर एक आदेश जारी किया है, जिसके तहत सभी मोबाइल फोन निर्माता और आयातक कंपनियों को संचार साथी ऐप अनिवार्य रूप से अपलोड करना होगा। यह भी कहा गया है कि इस ऐप को हर मोबाइल फोन और स्मार्टफोन में अनिवार्य रूप से डालना है।’’

मंत्रालय के 28 नवम्बर के आदेश के अनुसार, सभी मोबाइल फोन निर्माताओं को भारत में बेचे जाने वाले नए हैंडसेटों के साथ-साथ पुराने उपकरणों में भी सॉफ़्टवेयर अपडेट के माध्यम से संचार साथी ऐप को प्री-इन्स्टाल करना अनिवार्य है। आदेश में यह भी कहा गया है कि मोबाइल फोन कंपनियां सुनिश्चित करें कि प्री-इंस्टॉल संचार साथी एप्लीकेशन पहली बार उपयोग या डिवाइस सेटअप के समय उपयोगकर्ताओं के लिए आसानी से दिखाई दे और उपलब्ध हो।

सुरजेवाला ने कहा कि संचार साथी ऐप का अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल होना भारत के हर स्मार्टफोन और मोबाइल उपयोगकर्ता की निजता का सीधा उल्लंघन है। उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या यह हर व्यक्ति के निजता अधिकार को पूरी तरह नकार नहीं देता?’’

उन्होंने दावा किया कि एक संभावित ‘किल स्विच’ के जरिए हर मोबाइल फोन को निष्क्रिय बना दिया जाएगा तथा सरकार चाहे तो हर पत्रकार, हर विपक्षी नेता और असहमति जताने वाले हर व्यक्ति का मोबाइल फोन निष्क्रिय कर सकती है। कांग्रेस सदस्य ने कहा कि मोबाइल फोन में संग्रहित सभी पासवर्ड, सूचना, बैंक खाते के नंबर और व्यक्तिगत विवरण या तो किसी सरकारी एजेंसी या किसी हैकर—या इस स्थिति में दोनों—के लिए ही संवेदनशील हो जाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यह किसी हैकर को पूरा डिवाइस नियंत्रण भी दे सकता है। इसके परिणाम बहुत गंभीर हैं। साथ ही इससे लाखों डिवाइस महीनों तक असुरक्षित रहेंगे, क्योंकि यह सरकार द्वारा भेजे जाने वाले अपग्रेड पर निर्भर करेगा। उदाहरण के तौर पर, यदि सरकार अपडेट भेजे और सैमसंग तीन महीने तक उसे लागू न करे, तो उस अवधि में उस कंपनी के सभी मोबाइल फोन किसी भी तरह से हैक किए जा सकेंगे, जिससे हर उपयोगकर्ता के डेटा की पूरी तरह से सुरक्षा भंग होगी।’’

सुरजेवाला ने मांग की कि सरकार यह स्पष्ट करे कि गैर-नवीकरणीय ऐप को अनिवार्य करने और अनिवार्य सॉफ़्टवेयर अपडेट जारी करने का कानूनी आधार क्या है। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि इसके लिए कौन-सा स्वतंत्र सुरक्षा ऑडिट, सुरक्षा उपाय और दुरुपयोग रोकथाम तंत्र लागू हैं ?

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