Parliament Special Session: पीएम मोदी ने पुरानी संसद के बीते दिनों को किया याद, जानें भाषण की अहम बातें

Parliament Special Session: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लोकसभा में कहा कि ‘पुरानी संसद को अलविदा कहना बहुत भावुक क्षण है और यहां तक ​​कि जब कोई परिवार पुराना घर छोड़कर नए घर में प्रवेश करता है, तो भी बहुत सारी यादें दिमाग में रहती हैं।’

उन्होंने कहा कि ‘जब हम इस संसद से निकलते हैं तो हम भावुक भी होते हैं और हमारी कई यादें होती हैं, कुछ कड़वी-मीठी यादें होती हैं, कुछ खींचतान होती है। पीएम ने कहा कि यह हमारी सामूहिक परंपरा है, यह संसद बहुत सी घटनाओं की गवाह बनी है। संसद के विशेष सत्र के पहले दिन सोमवार को लोकसभा में पीएम मोदी ने कहा कि सबका साथ, सबका विकास का मंत्र विश्व को जोड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि “पूरा विश्व भारत में अपना मित्र खोज रहा है। पूरा विश्व भारत की मित्रता का अनुभव कर रहा है और उसका जो मूल कारण है कि हमारे जो संस्कार हैं, वेद से विवेकानंद तक जो हमने पाया है। सबका साथ, सबका विकास का मंत्र आज विश्व को जोड़ रहा है। इसके साथ ही कहा कि भारत मित्र के रूप में अपनी जगह बना पाया है। पूरा विश्व भारत में अपना मित्र खोज रहा है। पूरा विश्व भारत की मित्रता का अनुभव कर रहा है और उसका जो मूल कारण है कि हमारे जो संस्कार हैं, वेद से विवेकानंद तक जो हमने पाया है। सबका साथ, सबका विकास का मंत्र आज विश्व को जोड़ रहा है।”

Parliament Special Session: Parliament Special Session:

पीएम मोदी विपक्ष से संसद भवन में विशेष सत्र को ‘सकारात्मकता’ के साथ लेने का आग्रह किया, उन्होंने कहा कि भविष्य के सभी निर्णय नए संसद भवन में लिए जाएंगे, ये एक बहुत ही महत्वपूर्ण सत्र है। सभी सदस्यों से अनुरोध है कि वे इस छोटे संसद सत्र में अधिकतम समय दें, रोने के लिए बहुत समय होता है। पुराने संसद भवन में प्रवेश करने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि संसद के सभी सदस्य अच्छी भावना और सकारात्मकता के साथ नई संसद में प्रवेश करेंगे।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि मैं सभी आदरणीय सांसदों से आग्रह करता हूं कि छोटा सत्र है ज्यादा से ज्यादा समय उनका मिले, उमंग और उत्साह के वातावरण में मिले। रोने-धोने के लिए बहुत समय होता है, तब करते रहिए। जीवन में कुछ पल ऐसे भी होते हैं जो उमंग से भर देते हैं। विश्वास से भर देते हैं, मैं छोटे सत्र को उस रूप में देखता हूं। मैं आशा करता हूं कि पुरानी बुराइयों को छोड़कर के उत्तम से उत्तम अच्छाइयों को साथ लेकर के हम नए सदन में प्रवेश करेंगे।

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