25 जुलाई को ही क्यों शपथ लेते हैं राष्ट्रपति?,ये है बड़ा कारण

देश में अगले राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई को होने हैं। जिसके परिणाम 21 जुलाई को आएंगे। इसके बाद 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नए राष्ट्रपति को शपथ दिलाएंगे। दरअसल राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। इससे पहले नया राष्ट्रपति चुन लिया जाएगा। लेकिन क्या आप जानते है कि 25 जुलाई को ही नए राष्ट्रपति को शपथ क्यों दिलाई जाती है? तो आइए जानते है…

इतिहास के पन्नों में अहम 25 जुलाई

25 जुलाई जो कि इतिहास के पन्नों में देश के राष्ट्रपति को लेकर अहम होता है। हर पांच साल बाद 25 जुलाई को भारत को नया राष्ट्रपति मिलता है। बता दें कि ये सिलसिला 1977 से चला आ रहा है। जब उस वक्त के राष्ट्रपति फकरुद्दीन अली अहमद का कार्यकाल के दौरान फरवरी 1977 में निधन हो गया। उनके निधन के बाद उप राष्ट्रपति बीडी जत्ती कार्यवाहक राष्ट्रपति बने और नए राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद नीलम संजीव रेड्डी 25 जुलाई 1977 को राष्ट्रपति बने। इसके बाद से ही हर पांच साल पर 25 जुलाई को राष्ट्रपति शपथ लेते हैं। 

इन राष्ट्रपतियों ने ली थी 25 जुलाई को शपथ

आजादी के बाद देश में अबतक 14 राष्ट्रपति हो चुके हैं। लेकिन 25 जुलाई को शपथ लेने का सिलसिला 1977 से जारी है। 25 जुलाई 1977 को नीलम संजीव रेड्डी, 1982 में ज्ञानी जैल सिंह, 1987 में आर वेंकटरमन, 1992 में शंकर दयाल शर्मा, 1997 में केआर नारायणन, 2002 में एपीजे अब्दुल कलाम, 2007 में प्रतिभा पाटिल, 2012 में प्रणब मुखर्जी और 2017 में रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली।

राष्ट्रपति चुनाव में कौन कर सकता है मतदान

देश में राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है, जिसमें निर्वाचित राज्यसभा सांसद, लोकसभा सांसद और सभी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य ही मतदान कर सकते हैं। यानी जनता इसमें मतदान नहीं कर सकती है। चुनावी प्रक्रिया में राज्यसभा और विधान परिषद में नामित सदस्य और विधानपार्षद भी शामिल नहीं हो सकते। अगर किसी राज्य का मुख्यमंत्री विधान परिषद का सदस्य है तो वह भी राष्ट्रपति के निर्वाचन में मतदान नहीं कर सकता है।

राष्ट्रपति चुनाव 2022 में कुल मतदाता

राष्ट्रपति चुनाव 2022 में 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में से 233 सांसद और लोकसभा के सभी 543 सदस्य मतदान में हिस्सा लेंगे। इनमें हाल में होने जा रहे आजमगढ़, रामपुर और संगरूर में उप चुनाव में जीतने वाले सांसद भी शामिल होंगे। इसके अलावा सभी राज्यों के कुल 4033 विधायक भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान करेंगे। इस तरह से सांसदों और विधायकों को मिलाकर इस चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 4809 है। हालांकि, इनके वोटों का मूल्ये अलग-अलग होगा।

विशेष पेन से करेंगे मतदान

राष्ट्रपति चुनाव में कोई भी राजनीतिक दल अपने सदस्यों को व्हिप जारी नहीं जारी कर सकता है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदाता को चुनाव आयोग की ओर से एक विशेष पेन दी जाती है। उसी पेन से उम्मीदवारों के आगे मतदाता को नंबर लिखने होते हैं। एक नंबर उसे सबसे पसंदीदा उम्मीदवार के नाम के आगे डालना होता है। ऐसे दूसरी पसंद वाले उम्मीदवार के आगे दो लिखना होता है। अगर आयोग द्वारा दी गई विशेष पेन का इस्तेमाल नहीं होता तो वह वोट इनवैलिड हो जाता है।

कौन लड़ सकता है राष्ट्रपति चुनाव

राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना चाहिए। उसकी आयु कम से कम 35 साल होनी चाहिए और चुनाव लड़ने वाले में लोकसभा का सदस्य होने की पात्रता होनी चाहिए। उम्मीदवारी के लिए इलेक्टोरल कालेज के पचास प्रस्तावक और पचास समर्थन करने वाले होने चाहिए। राष्ट्रपति का मूल कर्तव्य संघ की कार्यकारी शक्तियों का निर्वहन करना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *