छह महीने के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची देश में बेरोज़गारी दर, जानें क्या है वजह

देश में बेरोजगारी दर बीते महीने यानी फरवरी में अपने छह महीने के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। बता दें की देश की बेरोजगारी दर बढ़कर 8.1 फीसदी पर आ गई है। इससे एक महीने पहले ही जनवरी 2022 में यह 10 महीने के निचले स्तर पर थी। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में बेरोजगारी दर पिछले महीने 8.1 फीसदी थी जबकि जनवरी 2022 में यह 6.57 फीसदी पर थी।

गांवों में सबसे ज्यादा बढ़ी बेरोज़गारी दर
इसी एक वजह गांवों में काम की कमी को माना जा रहा है। जिसके चलते पिछले महीने फरवरी में देश में बेरोजगारी दर छह महीने के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। इससे एक महीने पहले ही जनवरी 2022 में यह 10 महीने के निचले स्तर पर थी। लेबर सेक्टर के एक्सपर्ट्स का कहना है कि लॉकडाउन रिस्ट्रिक्शंस में ढील और फॉर्मल और इनफॉर्मल दोनों सेक्टर में तेज रिकवरी की वजह से शहरों में बेरोजगारी दर कम हो रही है। शहरों की बेरोजगारी दर नवंबर 2021 में 8.2 फीसदी, दिसंबर 2021 में 9.3 फीसदी, जनवरी 2022 में 8.16 फीसदी और फरवरी 2022 में 7.55 फीसदी पर रही। कुछ राज्यों के मनरेगा बजट में कमी और गांवों में गैर-कृषि क्षेत्र में नए रोजगार की सीमित उपलब्धता के चलते गांवों में बेरोजगारी दर में उछाल आया है और यह फरवरी में आठ महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई।

मई 2021 में उच्च स्तर पर थी बेरोज़गारी दर
सीएमआईई के अनुसार, बीते साल 2021 के मई महीने में देश की बेरोजगारी दर 11.84 फीसदी के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। हालांकि इस स्तर को छूने के बाद से ही इसमें गिरावट देखने को मिली। और नए साल की शुरुआत में यानी जनवरी 2022 में करीब आधा कम होकर 6.57 फीसदी के स्तर पर आ गया। फरवरी के आंकड़ों को देखने के बाद ये फिर से बढ़ती हुई दिखाई दे रही है।

बेरोजगारी दर बढ़ी तो इकोनॉमी की सेहत खराब
सीएमआईई के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था की सेहत को बेरोजगारी दर सही तरह से दर्शाती है, क्योंकि यह देश की कुल जनसंख्या में कितने बेरोजगार हैं, इसको बताती है। थिंक टैंक को उम्मीद है कि रबी फसल की बुआई की शुरुआत में तेजी देखने को मिल सकती है। इसका मतलब है कि चालू वित्त वर्ष में एग्री सेक्टर एक बार फिर शानदार प्रदर्शन करेगा। इससे प्रवासी मजदूर खेतों की ओर वापसी करेंगे।


कैसे तय होती है बेरोजगारी दर?
सीएमआईई हर महीने 15 से अधिक उम्र के लोगों का घर-घर जाकर सर्वे करता है और उनसे रोजगार की स्थिति की जानकारी लेता है। इसके बाद जो परिणाम मिलते हैं उनसे रिपोर्ट तैयार की जाती है।

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