आज भी युवाओं के लिए सफलता की कुंजी से कम नहीं मिसाइल मैन के प्रेरणादायक विचार

नमिता बिष्ट 

भारत के 11वें राष्ट्रपति और मिसाइलमैन के नाम से मशहूर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की आज 91वीं जयंती है। हर साल उनकी जयंती पर उन्हें सम्मान देने के लिए इस दिन को विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ कलाम एक ऐसे वैज्ञानिक बने जिन्होंने पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया। मिसाइल प्रोग्राम में भारत के अग्रणी देशों में शामिल होने के पीछे उनका बड़ा योगदान रहा। उन्होनें रक्षा के क्षेत्र में भी उत्कृष्ट योगदान दिया है इसीलिए आज पूरा देश उन्हें मिसाइल मैन के नाम से जानता है। उनके विचार, उनके दिए अनमोल वचन हर छात्र, युवा और भविष्य बना रहे किशोर के लिए प्रेरणा है। उनके योगदान के लिए देश उन्हें आज याद कर रहा है।

विश्व छात्र दिवस के रुप में मनाई जाती है जंयती
भारत के मिसाइलमैन डॉ एपीजे अदबुल कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति, एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और शिक्षक थे। अपने सरल व्यक्तित्व के लिए जाने वाले कलाम ने हमेशा देश के युवाओं को सच्ची पूंजी मानते हुए, बच्चों को हमेशा बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित किया था। इसलिए उनकी जयंती को हर साल विश्व छात्र दिवस के रुप में मनाते है। इसकी शुरुआत 2010 से हुई थी जब संयुक्त राष्ट्र संगठन ने शिक्षा और छात्रों के प्रति उनके लगाव और प्रयासों को देखते हुए विश्व छात्र दिवस के रूप में मानने की घोषणा की।

अपने पिता से थे प्रभावित
एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित धनुषकोडी के एक मध्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। अब्दुल कलाम संयुक्त परिवार में रहते थे। उनके पांच भाई और पांच बहने थी और घर में तीन परिवार रहा करते थे। अब्दुल कलाम के जीवन पर उनके पिता का बहुत प्रभाव रहा।

पिता चाहते थे कलेक्टर बने कलाम
अब्दुल कलाम के परिवार की आर्थिक हालत ज्यादा ठीक नहीं थी। उनके पिता जैनुलाब्दीन मछुवारों को किराए पर नाव देकर परिवार का पालन पोषण करते थे। खुद कलाम ने बचपन में बहुत संघर्ष किया है। उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए रामेश्वरम रेलवे स्टेशन पर अखबार बेचने का काम किया। वे बचपन से पढ़ाई में अच्छे थे, इसलिए पिता ने भी बाहर जाकर पढ़ने की इजाजत दे दी थी। पिता चाहते थे वे बड़े होकर कलेक्टर बने।

1962 में हुए इसरो में शामिल
अब्दुल कलाम ने 1950 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की । स्नातक होने के बाद उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिये भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश किया। 1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में आए। जहां उन्होंने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी भूमिका निभाई।

राष्ट्रपति बनने से पहले थे देश के मिसाइलमैन
अब्दुल कलाम ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानि DRDO और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि ISRO में एक साइंटिस्ट और एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में काम किया था। कलाम ने भारत के 11वें राष्ट्रपति बनने से पहले भारत के सिविलियन स्पेस और मिलिट्री मिसाइल प्रोग्राम को विकसित करने में भी अमूल्य योगदान दिया। साथ ही अग्नि मिसाइल और पृथ्वी मिसाइल का सफल परीक्षण का श्रेय भी कलाम को ही जाता है। उनकी देखरेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया था। यहीं कारण है कि लोग उन्हें मिसाइल मैन के रूप में जानते हैं।

अब्दुल कलाम को भारत रत्न से किया गया सम्मानित
अब्दुल कलाम ने भारत और विदेशों के 48 विश्वविद्यालयों से 7 डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की हुई थी। भारत सरकार ने उन्हें ISRO और DRDO के साथ उनके काम के लिए 1981 में पद्म भूषण और 1990 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। फिर उन्हें 1997 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। उन्हें राष्ट्रीय अंतरिक्ष सोसाइटी से वॉन ब्रौन अवार्ड (Von Braun Award) भी मिला हुआ है। बता दें कि अब्दुल कलाम भारत रत्न पाने वाले देश के तीसरे राष्ट्रपति थे। इससे पहले सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन को भरात रत्न दिया जा चुका है। 27 जुलाई 2015 को कलाम का निधन हुआ था।

  • सपने वो नहीं जो नींद में आते हैं, सपने तो वो हैं जो नींद आने नहीं देते।
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  • मनुष्य के लिए कठिनाइयों का होना बहुत जरूरी है क्योंकि कठिनाइयों के बिना सफलता का आनंद नहीं लिया जा सकता।
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