Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti 2022: सरदार पटेल की जयंती आज, देश की आजादी में पटेल की अहम भूमिका, पढ़ें सरदार पटेल के अनमोल वचन

नमिता बिष्ट

आज महान स्वतंत्रता सेनानी और लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 147वीं जयंती है। इस दिन को देशभर में राष्ट्रीय एकता दिवस के रुप में मनाया जाता है। सरदार पटेल आजाद भारत के पहले उपप्रधान मंत्री और पहले गृहमंत्री भी थे। सरदार पटेल को रियासतों के भारतीयों के भारतीय संघ में शांतिपूर्ण एकीकरण और भारत के राजनीतिक एकीकरण के लिए श्रेय दिया जाता है। तो चलिए जानते हैं उनकी जयंती के मौके पर उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक तत्थ…..

देश की आजादी में पटेल की भूमिका
भारत रत्न, लौह पुरुष, राष्ट्रीय एकीकरण के शिल्पकार, आधुनिक भारत के निर्माता सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। देश की आजादी में सरदार पटेल ने अभूतपूर्व योगदान दिया था। उन्होंने शराब, छुआछूत और नारियों पर अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी। हिन्दू-मुस्लिम एकता को बनाए रखने की पुरजोर कोशिश की। आजादी की लड़ाई के दौरान वह कई बार जेल भी गए, लेकिन पटेल की दृढ़ता के सामने अंग्रेजी हुकूमत को झुकना पड़ा।

आजाद भारत के प्रधानमंत्री बन सकते थे पटेल
कांग्रेस पार्टी के भीतर सरदार पटेल की जबरदस्त पकड़ थी। जब देश आजाद हुआ तो भारत में नई सरकार बनने की तैयारी शुरू हुई। कांग्रेस के नए अध्यक्ष के नाम पर सभी की निगाहें टिकी थी। उम्मीद की जा रही थी कि कांग्रेस का नया अध्यक्ष ही भारत का पहला प्रधानमंत्री होगा। सरदार पटेल की लोकप्रियता के चलते कांग्रेस कमेटी ने नेहरू का नाम प्रस्तावित नहीं किया और पटेल पूर्ण बहुमत से पार्टी के अध्यक्ष बन गए, लेकिन इस बात से पार्टी में विच्छेद न हो जाए, इस डर से गांधी जी ने सरदार पटेल को पीछे हटने को कहा। सरदार वल्लभ भाई पटेल का पता था कि वह देश के प्रधानमंत्री बन सकते हैं, लेकिन उन्होंने गांधी जी की बात का मान रखा और अपना नामांकन वापस ले लिया।

रियासतों का भारतीय संघ में विलय… लौह पुरुष की उपाधि
स्वतंत्र भारत के बाद सरदार पटेल पहले उप प्रधानमंत्री बने। वह भारत को एक राष्ट्र के रूप में देखना चाहते थे। बता दें कि जब सरदार पटेल को देश का पहला उप प्रधानमंत्री बनाया गया। तब यह पद गृहमंत्री के समान था। उन्हें कई और जिम्मेदारियां सौंपी गईं। सबसे बड़ी चुनौती देसी रियासतों का भारत में विलय था। हालांकि छोटे बड़े राजाओं, नवाबों को भारत सरकार के अधीन करते हुए रजवाड़े खत्म करना कोई आसान काम नहीं था, लेकिन बिना किसी जंग के सरदार पटेल ने 562 रियासतों का भारत संघ में विलय कराया। उनके इन्ही निडर और फौलादी कामो के लिए उन्हें महात्मा गांधी ने लौह पुरुष की उपाधि प्रधान की।

जवाहर लाल नेहरु को चीन से किया था आगाह
लौह पुरुष सरदार पटेल ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को भारत और चीन के रिश्ते पर पहले से आगाह किया था। गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद बहुत पुराना है। चीन के षड्यंत्रों को पहले से सरदार पटेल ने भांप लिया था। 1950 में उन्होंने नेहरू को खत लिख कर चीन से संभावित खतरे के बारे में चेतावनी दी थी। हालांकि नेहरू जी ने उस वक्त सरदार पटेल की चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया और परिणामस्वरूप 1962 की चीन की लड़ाई हुई।

राष्ट्रीय एकता दिवस मनाने की घोषणा
सरदार पटेल भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और पहले गृहमंत्री थे। भारत को आजादी मिलने के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल की पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने में महत्वपूर्ण भूमिका रही। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की याद में 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में घोषित किया था। पहली बार देश में राष्ट्रीय एकता दिवस 2014 में मनाया गया था और तभी से ही हर साल 31 अक्टूबर को नेशनल यूनिटी डे यानि राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

ये हैं ‘लौहपुरुष’ के अनमोल वचन
• जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता। अतः जात-पांत के ऊंच-नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए।
• अधिकार मनुष्य को तब तक अंधा बनाए रखेंगे, जब तक मनुष्य उस अधिकार को प्राप्त करने हेतु मूल्य न चुका दे।
• कठिन समय में कायर बहाना ढूंढ़ते हैं बहादुर व्यक्ति रास्ता खोजते हैं।
• आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए।
• आज हमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए तभी हम एक उन्नत देश की कल्पना कर सकते हैं।
• शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है। विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं।
• इस मिट्टी में कुछ खास है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।
• भले ही हम हजारों की संपत्ति खो दें, और हमारा जीवन बलिदान हो जाए, हमें मुस्कुराते रहना चाहिए और ईश्वर और सत्य में अपना विश्वास बनाए रखना चाहिए।
• हर नागरिक की यह मुख्य जिम्मेदारी है कि वह महसूस करे कि उसका देश स्वतंत्र है और अपने स्वतंत्रता देश की रक्षा करना उसका कर्तव्य है।
• आपकी भलाई आपके रास्ते में बाधा है, इसलिए अपनी आंखों को गुस्से से लाल होने दें, और अन्याय के साथ मजबूती से लड़ने की कोशिश करें।
• संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गई है. मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे। जो काम प्रेम, शांति से होता है, वह वैरभाव से नहीं होता।
• भारत एक अच्छा उत्पादक है और इस देश में कोई अन्न के लिए आंसू बहाता हुआ भूखा ना रहे।

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