Manipur: मणिपुर के बीजेपी सांसद ने एनआरसी लागू करने, अवैध शरणार्थियों को निकाल बाहर करने की मांग की

Manipur: बीजेपी के राज्यसभा सांसद महाराजा लीशेम्बा सनाजाओबा ने मणिपुर में अवैध प्रवासियों की पहचान करने और राज्य को जनसांख्यिकीय असंतुलन से बचाने के लिए राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) लागू करने और उन्हें निर्वासित करने की मांग की। शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए, बीजेपी सांसद ने कहा कि मणिपुर की हालत को देखते हुए राज्य के मौजूदा सीट में किसी तरह का बदलाव उचित नहीं है।

उन्होंने कहा, “कांगपोकपी, तेंगनूपल, चंडेल, चुराचंदपुर और फेरजॉल में 1969 से 2024 तक अवैध गांव बनते रहे हैं। उनकी संख्या 731 से बढ़कर 1624 हो गई है। उनकी संख्या में 593 की असामान्य बढ़ोतरी है, जो 50 साल में 122 फीसदी है।”

इसके विपरीत नगा बहुल इलाकों में 527 से 576 गांवों की वृद्धि मात्र 49 है, जो केवल 9 प्रतिशत है। उन्होंने आगे कहा कि अवैध शरणार्थी भारतीय प्रशासन में घुसने की कोशिश कर रहे हैं और चुनावी राजनीति भी कर रहे हैं।

बीजेपी सांसद ने कहा, “भारत सरकार से मेरा विनम्र अनुरोध है कि मौजूदा चुनावी सीट पर किसी भी तरह का बदलाव करने से पहले 1951 को आधार मानते हुए एनआरसी लागू करके गैरकानूनी शरणार्थियों की पहचान की जाए और उन्हें उनके देशों में वापस भेजा जाए।” उन्होंने कहा कि यह समस्या का इकलौता समाधान है। अन्यथा मणिपुर में भारी जनसांख्यिकीय असंतुलन होगा और मूल लोगों को भारी नुकसान होगा।

बीजेपी सांसद महाराजा लीशेम्बा सनाजाओबा ने कहा कि “मणिपुर की हालत को देखते हुए राज्य के मौजूदा सीट में किसी तरह का बदलाव उचित नहीं है। कांगपोकपी, तेंगनूपल, चंडेल, चुराचंदपुर और फेरजॉल में 1969 से 2024 तक अवैध गांव बनते रहे हैं। उनकी संख्या 731 से बढ़कर 1624 हो गई है। उनकी संख्या में 593 की असामान्य बढ़ोतरी है, जो 50 साल में 122 फीसदी है। नगा बहुल इलाकों में गावों की संख्या 527 से बढ़कर 576 हुई। सिर्फ 49 गांव, यानी 9 फीसदी बढ़े हैं।अवैध शरणार्थी भारतीय प्रशासन में घुसने की कोशिश कर रहे हैं और चुनावी राजनीति भी कर रहे हैं। वे भारत-म्यांमार की खुली सीमा का फायदा उठा रहे हैं। भारत सरकार से मेरा विनम्र अनुरोध है कि मौजूदा चुनावी सीट पर किसी भी तरह का बदलाव करने से पहले 1951 को आधार मानते हुए एनआरसी लागू करके गैरकानूनी शरणार्थियों की पहचान की जाए और उन्हें उनके देशों में वापस भेजा जाए। ये इकलौता समाधान है, अन्यथा मणिपुर की आबादी में काफी उलटफेर होगा और स्थानीय लोगों को भारी परेशानी होगी।”

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