Jammu: ड्रोन डिटेक्शन डिवाइस में सेंसर, माइक्रोफोन, रिकॉर्डर और एक एलईडी भी लगा है। जब कोई उड़ती वस्तु सरहद में आती है तो ये एलईडी अलार्म के साथ सिग्नल भेजता है। डेवलपर्स का कहना है कि ये डिवाइस अपनी तरह की अनूठी खोज है, बाजार में ड्रोन ट्रैकिंग सिस्टम की कमी को देखते हुए इसे बनाने का ख्याल आया, यह डिवाइस दो घंटे में पूरा चार्ज होने पर 17 घंटे तक काम कर सकता है।
आईआईटी, जम्मू में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के छात्रों ने ऐसा ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम बनाया है जो आवाज से किसी भी उडती हुई वस्तु को पहचान सकता है। ये डिटेक्शन डिवाइस अपनी सरहद में घुसते ही किसी भी ड्रोन, विमान या किसी दूसरी उडती हुई वस्तु को तुरंत पहचान लेगा।
“जो हमने इस्तेमाल किया है वो साउंड मतलब इससे आवाज निकल आती है। अगर आप देखेंगे जो ये प्रोपेलर होते है ये जब घूमते है तो एक आवाज को हम इस माइक्रोफोन से रिसिव करते है। ये माइक्रोफोन साउंड को रिसीव करता है और प्रोसेस करता है एक सिस्टम पर, जो एक रेसबरी पार्ट है और जो ये आउटपुट देगा, आउटपुट इन द फॉर्म ऑफ एलईडी दे रहा है और स्क्रीन की कोई जरूरत नहीं है।”
“यह पहला कैमरा बेस्ड है जिसमें आपको विजिबिलिटी की बहुत जरूरत है, जिसमें आपका विजिबिलिटी अच्छी नहीं है तो कैमरे में वो डिडेक्ट नहीं होगा साथ ही साथ उसके सामने ऑब्जेक्ट या ऑब्सटेकल आ जाए तो फिर वो डिडेक्ट नहीं कर पाएगा, साथ ही साथ अब मैं आपको दूसरा बताऊंगा जो हमारे रडार बेस वो उनकी दिक्कत है कि वो छोटे से जो ड्रोन होते हैं, स्मॉल क्रॉस सेक्शनल एरिया वाले जो ड्रोन होते है और जो लो-एल्टीट्यूड जो फ्लाई कर रहे है, उसको भी डिटेक्ट नहीं कर पाता है।”
“इसको बनाने में ऑलमोस्ट को छह महीने से एक साल तक का टाइम लग जिसमें हमें डेटा कलेक्शन से लेकर, हमें डेवलपमेंट से लेकर, न्यूरल नेटवर्क सेटिंग से लेकर और हार्डवेयर इंपोर्ट से लेकर सब काम हमें करना पड़ा इसके ऊपर और इसमें इकोनॉमिक प्वाइंट ऑफ व्यूसे बोलना चाहूंगा कि यो जो प्रोडक्ट है कम से कम 40 हजार के अंदर आएगा क्योंकि इसमें हमने अभी जो रे शो कवर कर रहे है वो 300 मीटर तक की रेंज कवर हो रही है । अगर इसको हमें बढ़ाना होगा तो फ्यूचर में हमने सोचा है तब शायद प्रोसेस बढ़ जाएंगे।”