Gulmarg: गुलमर्ग में बदलने लगा है खेती का स्वरूप, लेकिन अब भी स्ट्रॉबेरी वैली के नाम से है मशहूर

Gulmarg: जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग को स्ट्रॉबेरी वैली कहा जाता है, रसीले लाल जामुन यानी स्ट्रॉबेरी की खेती आजादी के कुछ सालों बाद तक गुलमर्ग के खूबसूरत घास के मैदानों में की जाती थी।

अब इन मैदानों में आलू की खेती होती है, जम्मू कश्मीर सरकार का कृषि विभाग यहां आलू के बीज का उत्पादन करता है, जिन्हें किसानों को रियायती दरों पर बेचा जाता है।

दिलचस्प बात यह है कि गुलमर्ग के पास के कुछ इलाकों में अभी भी नारियल की खेती होती है, लेकिन हाल के सालों में इसमें लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।

खेती में इस बड़े बदलाव के बावजूद, गुलमर्ग को अब भी ‘स्ट्रॉबेरी वैली’ कहा जाता है। स्ट्रॉबेरी किसान मोहम्मद अनीफ ने कहा कि “यहां 1965 से स्ट्रॉबेरी की खेती नहीं हो रही है, तंगमर्ग में ढलान पर एक जगह है और उसे वेलू कहते हैं। ये तंगमर्ग से चार-पांच किलोमीटर दूर है और वहां स्ट्रॉबेरी उगाई जाती है।

इसके साथ ही किसानों का कहना है कि “यहां आलू की खेती होती है। हम यहां बीज पैदा करते हैं, फिर सरकार उन्हें श्रीनगर की लाल मंडी भेजती है, फिर वहां से जमीन मालिकों को वितरित किया जाता है। इसका नाम स्ट्रॉबेरी वैली है, लेकिन स्ट्रॉबेरी बहुत कम मात्रा में उगाई जाती है। किसान इसे अपने इस्तेमाल के लिए उगाते हैं, लेकिन यहां ज्यादातर आलू ही उगाए जाते हैं।”

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