Chaitra Navratri 2022: कल से चैत्र नवरात्रि शुरू, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 02 अप्रैल से हो रही है और 11 अप्रैल को खत्म हो रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है और नवमी तक चलती है। दशमी तिथि को पारण करने के बाद नवरात्रि व्रत पूरा होता है। हर साल नवरात्रि की तिथियां घटती-बढ़ती हैं। आमतौर पर नवरात्रि की सामान्य अवधि 9 दिनों की होती है। लेकिन कभी-कभी तिथियां बढ़ने पर नवरात्रि 10 दिनों की होती है। तिथि घटने पर 8 या 7 दिन की होती है। जानें इस साल कितने दिन की होगी चैत्र नवरात्रि

इस साल चैत्र नवरात्रि 02 अप्रैल से शुरू होकर 11 अप्रैल तक रहेगी। 11 अप्रैल को व्रत पारण कर नवरात्रि समाप्त होंगे। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में नौ दिनों की नवरात्रि को बेहद शुभ माना गया है। इस साल माता रानी घोड़े पर सवार होकर आएंगी।

नवरात्रि पूजा विधि

नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं और दरवाजे पर आम के पत्ते का तोरण लगाएं। क्योंकि माता इस दिन भक्तों के घर में आती हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और आपके घर में निवास करती हैं। नवरात्रि में माता की मूर्ति को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्थापित करना चाहिए। जहां मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें वहां पहले स्वास्तिक का चिह्न बनाएं। उसके बाद रोली और अक्षत से टीकें और फिर वहां माता की मूर्ति को स्थापित करें। उसके बाद विधि विधान से माता की पूजा करें।

वास्तुशास्त्र के अनुसार, उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण को पूजा के लिए सर्वोत्तम स्थान माना गया है। आप भी अगर हर साल कलश स्थापना करते हैं तो आपकी इसी दिशा में कलश रखना चाहिए और माता की चौकी सजानी चाहिए। शास्त्रों में कलश पर नारियल रखने के विषय में बताया गया है कि “अधोमुखं शत्रु विवर्धनाय, ऊर्धवस्य वस्त्रं बहुरोग वृध्यै। प्राचीमुखं वित विनाशनाय,तस्तमात् शुभं संमुख्यं नारीलेलंष्।” यानी कलश पर नारियल रखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि नारियल का मुख नीचे की तरफ नहीं हो। नारियल का मुख नीचे होने से शत्रुओं की वृद्धि होती है। नारियल खड़ा करके रखते हैं और उसका मुंह ऊपर की ओर होता है तब रोग बढ़ता है,यानी घर में रहने वाले लोग अधिक बीमार होते हैं। कलश पर नारियल रखते समय अगर नारियल का मुख पूर्व दिशा की ओर होता है तो आर्थिक हानि होती है यानी धन की हानि के योग बनते रहते,लेकिन कलश स्थापना का यह उद्देश्य तभी सफल होता है जब कलश पर रखा हुआ नारियल का मुख पूजन करने वाले व्यक्ति की ओर हो।

इस बार चैत नवरात्रि में शुभ योग बन रहा है. 2 अप्रैल शनिवार को सूर्योदय के बाद कलश स्थापना और ध्वज स्थापना के साथ मां भगवती की आराधना प्रारंभ हो जाएगी. पहले दिन शैलपुत्री की पूजा के साथ नवरात्रि की शुरुआत होगी. ज्योतिष गणना के अनुसार एक अप्रैल रात्रि से प्रतिपदा लग रही है, जो शनिवार 2 अप्रैल दोपहर तक रहेगी.

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