10 हजार गायों की रखवाली करती हैं ‘गौरी मौसी’, गौशाला में सिक्युरिटी अफसर की तरह दिखाती हैं रौब

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ग्वालियर. पशुओं के प्रेम के कई किस्से-कहानियां आपने सुनी होंगीं. लेकिन ग्वालियर की गौरी मौसी के बारे में आप नहीं जानते होंगे. ये गौरी मौसी ममता की मिसाल हैं. ग्वालियर की लाल टिपारा गौशाला (Cowshed) में रहने वाली ये एक अनोखी गाय (Cow) है. वो मौसी नाम से पहचानी जाती हैं. यही नाम पुकारने पर वो दौड़ी चली आती है. ममता और रुतबा ऐसा कि वो गौशाला की सिक्युरिटी ऑफिसर की तरह रौब दिखाती हैं.

सबकी अम्मा “गौरी मौसी”. जी हां मौसी की बात ही कुछ ऐसी है. ग्वालियर की लाल पिटारा गौशाला में रहने वाली गौरी मौसी काले रंग की गाय है. इसका खुद का कोई बच्चा नहीं है, लेकिन वो गौशाला में रहने वाली सभी गायों और उनके बछिया-बछड़ों की मौसी है. वो सबकी रखवाली करती है. सारे बछड़ों को दुलारने से लेकर उनकी हिफाजत करने का हर काम गौरी मौसी खुशी खुशी करती हैं. अपने कुनबे के 10 हज़ार सदस्यों की देखरेख और मजबूत चौकसी करने वाली मौसी किसी सिक्यूरिटी ऑफिसर से कम नहीं हैं

मां नहीं लेकिन सबकी मौसी
ग्वालियर की लाल टावर टिपारा गौशाला में करीब 10 हज़ार गाय रहती हैं. इनके साथ रहने वाली गौरी मौसी नाम की गाय सब की बड़ी अम्मा है. गौरी मौसी का खुद का बच्चा नहीं है, लेकिन ममता ऐसी कि दूसरी गायों के नवजात बछड़ों को प्यार से दुलारती हैं. गौरी मौसी सभी गायों के बछड़ों की देखभाल करती हैं. बाहर से कोई जानवर घुस जाता है तो उसे भगाती हैं. गौशाला और यहां आने वाले लोग उसे प्यार से गौरी मौसी कहते हैं. गौशाला के संत मधुरेन्द्र आनंद कहते हैं कि तीन साल पहले गौरी इस गौशाला में आई थी और इतनी जल्दी वो सबकी मौसी बन गयी. जब कोई इसे मौसी नाम से पुकारता है तो गौरी दौड़ी चली आती है.

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खुशी हो या गम आगाह करती है मौसी
लाल टिपारा गौशाला में गौरी मौसी सभी के दिलों में राज करती है. गौशाला के 10 हज़ार गौवंश के बीच जब कोई गाय बछड़े को जन्म देती है, तो गौरी मौसी जोर जोर से आवाज़ लगाकर गौसेवकों को खुश खबरी देती हैं. रात हो या दिन गौशाला के किसी बाड़े में कोई जानवर घुस जाए तो गौरी मौसी उसे फौरन भगा देती हैं. कोई गाय अगर किसी दूसरी गाय के बच्चे को परेशान करती है तो गौरी मौसी उस गाय की जमकर खबर लेती हैं. लताड़ लगाकर भगा देती हैं. वो बच्चों को दुलारकर सुरक्षा का अहसास कराती हैं. गौशाला में सभी गायों के बच्चे गौरी मौसी से खुश रहते हैं. गौशाला के गौसेवक अभिषेक कहते हैं कि गौरी मौसी किसी सिक्यूरिटी ऑफिसर की तरह हैं, दिन हो या रात वो गायों के बाड़ों में घूम घूम कर जायजा लेती रहती हैं.

पशुओं का अपनापन…
मौसी का अर्थ होता है मां के समान. गौरी भी गौशाला के कुनबे के लिए मां समान ही हैं. गौरी की ये कहानी बताती है कि आज इंसानों से ज्यादा पशुओं में अपनापन और प्रेम की भावना है.

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