USA: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जलवायु परिवर्तन और आर्थिक प्रगति पर कहा कि जलवायु, आर्थिक प्रगति या सामाजिक कल्याण सहित बड़ी वैश्विक चुनौतियों को किसी भी देश की तरफसे अलग-थलग करके संबोधित नहीं किया जा सकता है। वाशिंगटन में विश्व सांस्कृतिक महोत्सव में अपने भाषण के दौरान जयशंकर ने दुनिया भर में बढ़ते सामूहिक जीवन को रेखांकित करते हुए “सामंजस्यपूर्ण” और “अधिक सहयोगात्मक” दृष्टिकोण का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, “हाल के वर्षों में, दुनिया अधिक लोकतांत्रिक हो गई है और उनके बीच पारस्परिक सम्मान आनुपातिक रूप से बढ़ा है, वैश्वीकरण और प्रौद्योगिकी ने हमें एक-दूसरे को बेहतर तरीके से जानने में मदद की है। दुनिया का कोई हिस्सा नहीं, कोई लोग नहीं, कोई विचार प्रक्रिया नहीं, कोई संस्कृति नहीं है आज बहुत दूर हो। लेकिन क्योंकि हमारा सामूहिक जीवन अधिक गहन हो गया है, इसे अधिक सामंजस्यपूर्ण और अधिक सहयोगात्मक भी होना चाहिए।”
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि “हाल के वर्षों में, दुनिया ज्यादा लोकतांत्रिक हो गई है और उनके बीच पारस्परिक सम्मान आनुपातिक रूप से बढ़ा है। वैश्वीकरण और प्रौद्योगिकी ने हमें एक-दूसरे को बेहतर तरीके से जानने में मदद की है। दुनिया का कोई हिस्सा नहीं, कोई लोग नहीं, कोई विचार प्रक्रिया नहीं, कोई संस्कृति नहीं है आज बहुत दूर हो। लेकिन चूँकि हमारा सामूहिक जीवन अधिक गहन हो गया है, इसलिए इसे अधिक सामंजस्यपूर्ण और अधिक सहयोगात्मक भी होना चाहिए।”
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उन्होंने कहा कि “आज की बड़ी चुनौतियां, चाहे वो जलवायु परिवर्तन हो, आर्थिक प्रगति हो या सामाजिक कल्याण हो, को अलगाव में प्रभावी ढंग से संबोधित नहीं किया जा सकता है। दुनिया को एक साथ लाना और भी महत्वपूर्ण हो गया है। इसी दृष्टिकोण के साथ भारत ने जी-20 प्रेसीडेंसी की जिम्मेदारी ली है और हमारा विषय ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’ आज सांस्कृतिक रूप से हमारे सामने बहुत अच्छी तरह से प्रस्तुत किया गया है।”
इसके साथ ही कहा कि “मुझे ये कहते हुए गर्व हो रहा है कि हम भारत में अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं और परिणामस्वरूप हम हरित विकास और डिजिटल डिलीवरी में सतत विकास में नई ऊर्जा पैदा करने में कामयाब रहे हैं।”