यूक्रेन ने NATO में शामिल न होने के लिए रूस के आगे रखी ये शर्तें

यूक्रेन पर रूस के हमले के 26 दिन बाद भी रूस अब तक यूक्रेन को झुकाने में कामयाब नहीं हुआ है। लेकिन दो देशों के बीच जारी जंग ने यूक्रेन को तबाह कर दिया है। करीब 30 लाख लोगों को अपना घर-देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है। यह जंग यूक्रेन की NATO को ज्वाइन करने की जिद पर शुरू हुई थी। जिसका परिणाम सबके सामने है। वहीं अब यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने युद्ध विराम लिए NATO में शामिल नहीं होने का फैसला किया है। लेकिन इस फैसले के साथ जेलेंस्की ने रूस के आगे तीन शर्ते भी रखी हैं।
वोलोडिमिर जेलेंस्की ने NATO को खरी-खोटी सुनाते हुए NATO में शामिल न होने की बात कही है। लेकिन इसके बदले रूस के आगे तीन शर्तें रखी हैं। वोलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा कि अगर रूस हमलों को रोक देगा, रूसी सैनिकों को वापस रूस बुला लिया जाएगा और रूस यूक्रेन की सुरक्षा की गारंटी देगा तो वह NATO में शामिल नहीं होगा। अब रूस का जवाब आने का इंतजार है।
यूक्रेनी टीवी चैनल्स को दिए इंटरव्यू में जेलेंस्की ने कहा कि यह समझौता सबके लिए है। पश्चिम के लिए है, जिसको यह नहीं पता कि NATO के बारे में यूक्रेन के साथ क्या करना है। यूक्रेन के लिए है, जो अपनी सुरक्षा की गारंटी चाहता है। वहीं रूस के लिए है, जो नहीं चाहता कि NATO का आगे विस्तार हो। वोलोडिमिर जेलेंस्की ने पुतिन से सीधी बात करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि मैं पुतिन से मिलना चाहता हूं। मीटिंग के बिना यह नहीं समझा जा सकता कि रूस युद्ध रोकने के बदले क्या चाहता है। इतना ही नहीं जेलेंस्की ने यह भी कहा कि वह क्रीमिया, पूर्वी डोनबास क्षेत्र (जिसके दो इलाकों को रूस ने स्वतंत्र देश घोषित किया था) की स्थिति पर चर्चा को भी तैयार हैं। उन्होंने कहा कि यह चर्चा तब ही होगी जब संघर्ष विराम होगा और सुरक्षा की गारंटी दी जाएगी।

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