आज है अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस, जानें इस साल की थीम और इसका महत्व, दुनिया में हर 11 मिनट में एक महिला की हत्या

नमिता बिष्ट

आज ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मू्लन दिवस’ है। दुनिया भर में महिलाओं पर हो रही हिंसा को रोकने और महिलाओं को जागरूक करने के लिए हर साल यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के ज्यादा से ज्यादा प्रयास करने की आवश्यकता को रेखांकित करने वाले कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। तो चलिए जानते हैं इस दिन की थीम और इसके महत्व के बारे में

क्या है इस दिन का इतिहास?
दरअसल 25 नवंबर 1960 को डोमिनिकन तानाशाह राफेल ट्रुजिलो के आदेश पर तीन मीराबल बहनों की हत्या कर दी गई थी। तब से 1981 में लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई नारीवादी एनकेंट्रोस के कार्यकर्ताओं ने 25 नवंबर को महिलाओं के खिलाफ हिंसा का मुकाबला करने और तीनों बहनों की पुण्यतिथि के रूप में मनाने का आदेश दिया। वहीं 1999 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव पारित कर हर साल 25 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया गया।

इस दिन का उद्देश्य
महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन का अंतर्राष्ट्रीय दिवस का उद्देश्य है महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को रोकने और उसका जवाब देने के अलावा लोगों को महिलाओं के बुनियादी मानव अधिकारों और लैंगिक समानता के विषय में जागरूक और शिक्षित करना है, ताकि महिलाओं के खिलाफ हो रहे हिंसा को रोका जा सके।

ये है 2022 की थीम
इस दिवस को हर साल एक अलग थीम के साथ मनाया जाता है। इस बार 2022 की थीम है ‘यूनाइट! यानी महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए एकजुटता और सक्रियता’। संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार यह अभियान 25 नवंबर से शुरू होकर 16 दिनों तक चलेगा। इस का समापन 10 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के दिन होगा।

महिलाओं के विरुद्ध क्रूरता विश्वव्यापी
महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा का स्वरूप विश्वव्यापी है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत सहित दुनियाभर में महिलाएं जाति, धर्म और मूल पहचान के कारण बलात्कार, छेड़छाड़, उत्पीड़न और हत्या का शिकार होती हैं। इन हिंसा की अधिकांश घटनाएं प्रतिष्ठा, मौन, चुप्पी, कलंक और शर्म के कारण रिपोर्ट ही नहीं होती है। महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ इस तरह की हिंसा विश्वध में सबसे भयंकर, निरंतर और व्याीपक मानव अधिकार उल्लंंघनों में शामिल है।

दुनिया में हर 3 में से 1 हिंसा का शिकार
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में हर तीन में से एक महिला किसी न किसी रूप से हिंसा का शिकार हो रही है। 2021 में महिलाओं पर अत्याचार के 74 करोड़ से अधिक मामले आए थे। वहीं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा बलात्कार, दहेज हत्या, घरेलू हिंसा आदि के रूप में प्रचलित है। इन सभी प्रकार की हिंसा से लाखों महिलाएं हर साल प्रताड़ित होती हैं।

दुनिया में हर 11 मिनट में एक महिला की हत्या
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने हाल ही में एक चौंकाने वाली जानकारी साझा की थी, उन्होंने कहा था कि दुनिया में हर 11 मिनट में एक महिला या लड़की की हत्या की जा रही है। उसको उसके प्रेमी, पति या परिवार के सदस्य द्वारा बेरहमी से मार दिया जाता है। गुटेरेस ने इन हत्याओं को दुनिया में मानवाधिकारों का सबसे व्यापक उल्लंघन करार दिया था।

महिलाओं के प्रति मानसिकता में बदलाव की जरूरत
महिला की अस्मिता से जुड़ा हर पक्ष अपने आप में महत्वपूर्ण है। सतयुग से इक्कीसवीं सदी के साइबर युग तक की निरंतर यात्रा में अपनों द्वारा अपने पर किए गए शारीरिक, मानसिक शोषण, उपेक्षा, तिरस्कार, अवमानना, अवहेलना आदि अत्याचारों को सहने के लिए महिलाओं को हर राह, हर मोड़ पर ,उसकी अस्मिता क्या है, वो क्यों समाज में दोयम दर्जे की मानी गई है ऐसे अनुत्तरित प्रश्न से सामना करती रही है। हालांकि महिला दिवस जैसे दिनों में महिलाओं के अधिकारों पर खूब चर्चा की जाती है, तो वही महिलाओं के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के लिए भी एक दिन अलग से मनाया जाता है। लेकिन ऐसे दिवसों की सार्थकता तभी साबित हो सकती है जब विश्वव्यापी समाज महिलाओं के प्रति अपनी मानसिकता में बदलाव लाने का प्रयास करेगा।

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