Nepal: भारत और नेपाल ने कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने नेपाली समकक्ष एन.पी. सऊद के साथ “व्यापक और सार्थक” बैठक की। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों, व्यापार, कनेक्टिविटी परियोजनाओं और रक्षा और सुरक्षा को लेकर चर्चा की।
2024 में किसी देश की अपनी पहली यात्रा पर जयशंकर दिन में नेपाल पहुंचे, उन्होंने सऊद के साथ सातवीं भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की बैठक की सह-अध्यक्षता की। जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि “चर्चा हमारे समग्र द्विपक्षीय संबंधों, व्यापार और आर्थिक संबंधों, भूमि, रेल और हवाई कनेक्टिविटी परियोजनाओं, रक्षा और सुरक्षा में सहयोग, कृषि, ऊर्जा, बिजली, जल संसाधन, आपदा प्रबंधन, पर्यटन, नागरिक उड्डयन, लोगों से लोगों पर केंद्रित थी।”
दोनों पक्षों ने उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन, दीर्घकालिक बिजली व्यापार, नवीकरणीय ऊर्जा विकास में सहयोग, मुनाल सैटेलाइट और जाजरकोट भूकंप के बाद राहत आपूर्ति की पांचवीं किश्त सौंपने पर समझौतों की अदला बदली की। दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से तीन सीमा पार ट्रांसमिशन लाइनों का भी उद्घाटन किया।
नेपाल के विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस मौके पर आर्थिक संबंधों, कनेक्टिविटी, व्यापार, बिजली और जल संसाधन, शिक्षा और संस्कृति और राजनैतिक मामलों जैसे विषयगत क्षेत्रों के तहत नेपाल-भारत संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। इससे पहले जयशंकर ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ से मुलाकात की। जिसके दौरान दोनों पक्षों ने सदियों पुराने, अद्वितीय और बहुआयामी नेपाल-भारत संबंधों पर बात की।
जयशंकर ने प्रधानमंत्री प्रचंड से उनके कार्यालय ‘सिंहदरबार’ में मुलाकात की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं दीं। नेपाल क्षेत्र में अपने समग्र रणनैतिक हितों के संदर्भ में भारत के लिए महत्वपूर्ण है। दोनों देशों के नेताओं ने अक्सर सदियों पुराने “रोटी बेटी” रिश्ते पर ध्यान दिया है। देश की 1,850 किमी से अधिक लंबी सीमा पांच भारतीय राज्यों – सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के साथ लगती हैं। भूमि से घिरा नेपाल वस्तुओं और सेवाओं के परिवहन के लिए भारत पर बहुत ज्यादा निर्भर है।
पिछले साल जून में प्रधानमंत्री ‘प्रचंड’ ने नई दिल्ली का दौरा किया। इस दौरान दोनों पक्षों ने कई प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें पड़ोसी देश से नई दिल्ली के बिजली आयात को अगले 10 वर्षों में मौजूदा 450 मेगावाट से बढ़ाकर 10,000 मेगावाट करना शामिल है।