म्यांमार में 34 साल बाद सुनाई गई फांसी की सज़ा, पूर्व सांसद समेत 2 लोगों को चढ़ाया जाएगा सूली पर

म्यांमार में 34 साल बाद फांसी की सज़ा सुनाई गई है। यह सज़ा पिछली आंग सू ची की सरकार में रहे एक सांसद और एक कार्यकर्ता को सुनाई गई है। सांसद ‘फ्यो जेया थाव और लोकतंत्र का समर्थन करने वाले कार्यकर्ता क्याव मिन यू उर्फ जिमी’ पर टेररिस्ट अटैक और मास किलिंग को अंजाम देने के आरोप है। जिसके लिए उन्हें ये सजा सुनाई गई है। म्यांमार सरकार के इस आदेश की संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन ने निंदा की है। स्टीफन ने कहा- ये आदेश जीने की आजादी और मानवाधिकार के खिलाफ है। वहीं मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस आदेश को गलत बताते हुए कहा कि- ”म्यांमार में फांसी की सज़ा को फिर से शुरू करना दुनिया के लिए चौंकाने वाली खबर है। इस फैसले को वापस लिया जाए। इंटरनेशनल कम्युनिटी को भी इसमें दखल देने की ज़रूरत है।” एमनेस्टी ने कहा कि- ”किसी अपराध के लिए मौत की सज़ा कई खौफनाक तरीकों में एक बन गई है। इस फैसले से म्यांमार सैन्य सरकार लोगों के बीच डर पैदा करना चाहती है। दरअसल एमनेस्टी इंटरनेशनल का दावा है कि म्यांमार में आखिरी बार 1998 में किसी को मौत की सजा दी गई थी। फांसी की सजा 1988 के बाद भी सुनाई गईं लेकिन बाद में उन्हें सामूहिक माफी दे दी गई। आपको बता दें कि पिछली साल फरवरी 2021 में सैना ने आंग सान सू ची की सरकार का तख्तापलट करके सैनिक शासन की स्थापना कर दी थी।

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