World AIDS Day 2022: कब और क्यों मनाया जाता है एड्स डे, जानिए इतिहास और इस साल की थीम

नमिता बिष्ट

आज विश्व एड्स दिवस है। इस दिन दुनियाभर में एड्स के प्रति लोगों को जागरुक किया जाता है। एड्स HIV  यानी ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस से होता है। यह एक ऐसा वायरस है जिसका आज भी कोई ठोस इलाज नहीं है। इससे इम्युन सिस्टम इतना कमजोर हो जाता है कि शरीर दूसरी बीमारियों को झेल नहीं पाता है। हालांकि कुछ दवाओं के सहारे वायरल लोड को कम किया जा सकता है। लेकिन एड्स को लेकर कई सारे मिथक और गलत जानकारियां भी व्याप्त हैं, जिसे दूर करने और एचआईवी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल दुनियाभर में विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है..तो चलिए जानते है इससे जुड़ी जानकारी के बारे में……

एचआईवी/एड्स का इतिहास

एचआईवी की शुरुआत जानवरों से हुई। जानकारी के मुताबिक  सबसे पहले 19वीं सदी में अफ्रीका में खास प्रजाति के बंदरों में एड्स का वायरस पाया गया। बंदरों से इस बीमारी का प्रसार इंसानों तक हुआ। अफ्रीका में बंदर खाए जाते थे। ऐसे में माना गया कि इंसानों में बंदर खाने के कारण वायरस पहुंचा।

1981 में पहली बार एड्स की पहचान

पहली बार एड्स की पहचान 1981 में हुई। लॉस एंजेलिस के डॉक्टर ने पांच मरीजों में अलग अलग तरह के निमोनिया को पहचाना। इन मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अचानक कमजोर पड़ गई थी। हालांकि पांचों मरीज समलैंगिक थे। इसलिए चिकित्सकों को लगा कि यह बीमारी केवल समलैंगिकों को ही होती है। इसलिए इस बीमारी को ‘गे रिलेटेड इम्यून डिफिशिएंसी’ (ग्रिड) नाम दिया गया। लेकिन बाद में दूसरे लोगों में भी यह वायरस पाया गया, तब जाकर 1982 में अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने इस बीमारी को एड्स नाम दिया।

1986 में भारत में सामने आया पहला मामला

भारत में इसका पहला मामला 1986 में सामने आया था। तब चेन्नई की रहने वालीं कुछ सेक्स वर्कर्स में इस संक्रमण की पुष्टि हुई थी। उस समय तक दुनिया के कई देशों में एचआईवी पहुंच चुका था और  भारत में भी इसकी एंट्री हो गई थी। एचआईवी के संक्रमण के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है।

1987 में पहली बार मनाया गया विश्व एड्स दिवस

पहली बार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1987 में विश्व एड्स दिवस मनाया। उस समय के अनुमान के मुताबिक करीब 90,000 से 1,50,000 व्यक्ति एचआईवी पॉजिटिव थे। विश्व एड्स दिवस, ग्लोबबल हेल्थ के तौर पर मनाया जाने वाला पहला इंटरनेशनल डे था। फिर हर साल 1 दिसंबर को एड्स दिवस मनाने का फैसला लिया गया।

विश्व एड्स दिवस का उद्देश्य

इस दिन को मनाने का उद्देश्य हर उम्र और वर्ग के लोगों को एड्स के बारे में जागरूक करना है। हर साल इस दिन यूनाइटेड नेशंस की एजेंसियां, सरकारें और लोग एचआईवी से जुड़ी खास थीम पर अभियान चलाने के लिए साथ जुड़ते हैं और लोगों को इस बीमारी के लिए जागरुक करते हैं।

विश्व एड्स दिवस 2022 की थीम

हर साल एक तय थीम पर विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इस बार विश्व एड्स दिवस 2022 की थीम इक्विलाइज़ ‘ Equalize’ है। इसका अर्थ है ‘समानता’, यानी समाज में फैली हुई असमानताओं को दूर करके एड्स को जड़ से खत्म करने के लिए कदम बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।

क्या कहते हैं आंकड़े?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक  अब भी ये वायरस हर साल लाखों लोगों को संक्रमित कर रहा है। 2021 के आखिर तक दुनिया में 3.84 करोड़ लोग ऐसे थे जो इस वायरस से संक्रमित थे। 2021 में दुनियाभर में 6.5 लाख लोगों की मौत का कारण HIV ही था।  वहीं भारत सरकार के राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) की रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में करीब 42 हजार लोगों की मौत एड्स संबंधित बीमारियों के कारण हुई। यानी हर दिन औसतन 115 मौतें। UNAIDS के आंकड़े बताते हैं कि 2021 तक भारत में 24 लाख लोग HIV संक्रमित थे।

कैसे होता है एचआईवी एड्स?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, एड्स खुद में कोई बीमारी नहीं, लेकिन इससे पीड़ित शरीर प्राकृतिक प्रतिरोधी क्षमता को खो देता है। इसकी वजह होता है एचआईवी। एचआईवी एक वायरस है जो संक्रमण के कारण होता है। शरीर में एचआईवी संक्रमण के प्रसार के कई कारण हो सकते हैं। असुरक्षित यौन संबंध बनाने, संक्रमित व्यक्ति के रक्त के माध्यम या गर्भावस्था में प्रसव के दौरान संक्रमित मां से बच्चे तक एचआईवी फैल सकता है। एचआईवी एड्स के सबसे अधिक मामले असुरक्षित यौन संबंध बनाने के कारण देखने को मिलते हैं।

एड्स के लक्षण

एचआईवी संक्रमण से ग्रसित व्यक्ति में वायरस की चपेट में आने के दो से चार हफ्ते के भीतर ही लक्षण नजर आने लगते हैं। अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, HIV से संक्रमित होने पर फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे- बुखार होना, गला खराब होना या कमजोरी आना। इसके बाद इस बीमारी में तब तक कोई लक्षण नहीं दिखाई देते, जब तक AIDS न बन जाए। AIDS होने पर वजन घटना, बुखार आना या रात में पसीना आना, थकान-कमजोरी जैसे लक्षण दिखते हैं।

ये है एड्स के तीन स्टेज

आमतौर पर HIV के AIDS में तब्दील होने में तीन स्टेज लगती है।

पहली स्टेज— व्यक्ति के खून में HIV का संक्रमण फैल जाता है। इस समय व्यक्ति बहुत से और लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। इस स्टेज में फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं। हालांकि, कई बार संक्रमित व्यक्ति को कोई लक्षण भी महसूस नहीं होते।

दूसरी स्टेज— ये वो स्टेज होती है जिसमें संक्रमित व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं दिखता, लेकिन वायरस एक्टिव रहता है। कई बार 10 साल से भी ज्यादा वक्त गुजर जाता है, लेकिन व्यक्ति को दवा की जरूरत नहीं पड़ती। इस दौरान व्यक्ति संक्रमण फैला सकता है। आखिर में वायरल लोड बढ़ जाता है और व्यक्ति में लक्षण नजर आने लगते हैं।

तीसरी स्टेज— अगर HIV का पता लगते ही अगर दवा लेनी शुरू कर दी जाए तो इस स्टेज में पहुंचने की आशंका बेहद कम होती है। HIV का ये सबसे गंभीर स्टेज है, जिसमें व्यक्ति एड्स  से पीड़ित हो जाता है। एड्स होने पर व्यक्ति में वायरल लोड बहुत ज्यादा हो जाता है और वो काफी संक्रामक हो जाता है।  इस स्टेज में बिना इलाज कराए व्यक्ति का 3 साल जी पाना भी मुश्किल होता है।

कैसे बचा जाए?

अगर HIV का पता चल जाए तो घबराने की बजाय तुरंत एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी शुरू करें,  क्योंकि HIV शरीर को बहुत कमजोर बना देता है और धीरे-धीरे दूसरी बीमारियां भी घेरने लगती हैं। अभी तक इसका इलाज भले ही नहीं है, लेकिन दवाओं के जरिए इससे बचा जा सकता है।

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