Narco Test: जानें क्‍या है नार्को टेस्ट, आखिर क्यों किया जाता है ये टेस्ट

नमिता बिष्ट

नार्को टेस्ट यह टेस्ट ज्यादातर बड़े अपराधियों के केस में किया जाता है। इस टेस्ट के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होती है। बिना कोर्ट के इजाजत के पुलिस नार्को टेस्ट नहीं करा सकती है। नार्को टेस्ट बच्चों, बुजुर्गों और शारीरिक रूप से कमजोर लोगों का नहीं किया जाता है, क्योंकि यह टेस्ट जानलेवा भी है, इसलिए इस टेस्ट के लिए अलग तरह से प्रावधान है। ऐसे में अब सवाल उठता है कि इस टेस्ट की प्रक्रिया क्या है। इस टेस्ट में क्या जोखिम है। अब तक कितने केस में यह टेस्ट हो चुका है। तो आज हम आपको नार्को टेस्ट के सभी पहलुओं के बारे में जानकारी देंगे.

कहां से आया है नार्को शब्द 
नार्को-एनालाइसिस टेस्ट को ही नार्को टेस्ट कहा जाता है। इसको ग्रीक शब्द नार्को (जिसका अर्थ है एनेस्थीसिया या टॉरपोर) से लिया गया है। आपराधिक मामलों की जांच-पड़ताल में इस टेस्ट की मदद ली जाती है।

आखिर क्यों किया जाता है नार्को टेस्ट
हाल के सालों में जटिल अपराधों की गुत्थी को सुलझाने के लिए जांच एजेंसियों ने नार्को टेस्ट पर जोर दिया है। नार्को टेस्ट से जांच एजेंसी का काम काफी आसान हो जाता है। जांच एजेंसियां आसानी से अपराधी तक पहुंच सकती है। दरअसल कई बार अपराधी अपने अपराध से मुकर जाता है। ऐसे मे आरोपी से सच को उगलवाने के लिए इस पद्धति का प्रयोग किया जाता है। यह टेस्ट इसलिए भी किया जाता है, जिससे आरोपी अदालत को गुमराह नहीं कर सके।

नार्को टेस्ट के पहले की प्रक्रिया
नार्को टेस्ट के दौरान पहले आरोपी को फारेंसिक साइंस लेबोरेटरी में भेजा जाता है। इस लेबोरेटरी में उसको इस जांच के बारे में विस्तार से बताया जाता है। इसके बाद जांचकर्ता का मनोवैज्ञानिक और जांच अधिकारी (आईओ) के साथ भी एक सत्र होता है। लैबोरेटरी के विशेषज्ञ आरोपी के साथ बातचीत करते हैं। इस दौरान आरोपी को टेस्ट की प्रक्रिया के बारे में बताया जाता है।

नार्को टेस्ट के लिए नियम
यह टेस्ट जानलेवा भी हो सकती है। थोड़ी सी चूक में जान भी जा सकती है। इसलिए जांच सहमति जरूरी होती है। नार्को टेस्ट के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन भी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि नार्को एनालिसिस, ब्रेन मैपिंग और पालीग्राफ टेस्ट बिना आरोपी के सहमति के नहीं किया जा सकता है।

नार्को टेस्ट के लिए आरोपी की सहमति जरूरी
बता दें कि जब आरोपी को टेस्ट की प्रक्रिया के बारे में बताया जाता है। तो इसके लिए उसकी सहमति ली जाती है। इसके बाद जब मनोवैज्ञानिक संतुष्ट हो जाते हैं कि आरोपी प्रक्रिया को पूरी तरह समझ गया है, तो उसकी डॉक्टरी जांच की जाती है। इसके बाद नार्को टेस्ट की प्रक्रिया शुरू होती है।

गहन निगरानी में होती है जांच
नार्को टेस्ट हमेशा डॉक्टरों की टीम की मौजूदगी में किया जाता है। टेस्ट के दौरान मालिक्यूलर लेवल पर आरोपी के नर्वस सिस्टम में दखल दिया जाता है। इंजेक्शन की डोज व्यक्ति की उम्र, लिंग, सेहत और शारीरिक स्थिति को ध्यान में रखकर दी जाती हैं। साथ ही आरोपी के पल्स और ब्लड प्रेशर को भी लगातार चेक किया जाता है। इस दौरान अगर आरोपी व्यक्ति का स्वास्थ्य बिगड़ता है तो उसे ऑक्सीजन भी दी जाती है। आरोपी को नींद जैसी अवस्था में लाकर अपराध के बारे में प्रमाणिक सत्य प्राप्त करने की कोशिश की जाती है।

आरोपी के खुलासे की होती है वीडियो रिकार्डिंग
नार्को टेस्ट के दौरान जांच एजेंसियों द्वारा साझा किए गए सवालों के आधार पर आरोपी व्यक्ति से डॉक्टर पूछताछ करते हैं। इस दौरान किए गए सभी खुलासे की वीडियो रिकार्डिंग होती है। खुलासे का उपयोग साक्ष्य एकत्र करने की प्रक्रिया में विशेषज्ञ द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट का उपयोग किया जाता है।

इन मामलों में हो चुका है नार्को टेस्ट
अब तक कई मामलों में अदालत ने नार्को टेस्ट की इजाजत दी है। खासकर साल 2002 के गुजरात दंगों के मामले में अब्दुल करीम तेलगी का नार्को टेस्ट हुआ था। इसके बाद फर्जी स्टांप पेपर घोटाले में आरोपी का भी नार्को टेस्ट किया गया था। साल 2007 में निठारी हत्याकांड और 26/11 के मुंबई आतंकी हमले के मामले में पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब पर नार्को टेस्ट का विशेष रूप से उपयोग किया गया था। वहीं दिल्ली के श्रद्धा वॉल्कर मर्डर केस का सच जानने के लिए मुख्य आरोपी आफताब पूनावाला का भी नार्को टेस्ट किया गया है।

हाईप्रोफाइल अंकिता मर्डर केस में होगा नार्को टेस्ट
वहीं अब उत्तराखंड के हाईप्रोफाइल अंकिता मर्डर केस में भी आरोपियों का नार्को टेस्ट किया जाएगा। जांच कर रही एसआईटी ने तीनों आरोपियों पुलकित, अंकित और सौरभ का नार्को टेस्ट के लिए कोर्ट में चार्जशीट लगाई थी। पुलिस के मुताबिक मुख्य आरोपी पुलकित आर्य ने नार्को टेस्ट के लिए अपनी सहमति दी है। साथ ही आरोपी सौरभ ने नार्को टेस्ट की सहमति के लिए कोर्ट से 10 दिन का समय मांगा है तो आरोपी अंकित ने किसी भी प्रकार की सहमति या असहमति के लिए कोई भी जवाब कोर्ट में पेश नहीं किया, जिसको देखते हुए अब कोर्ट ने 22 दिसंबर की डेट दी है और 22 दिसम्बर को ही नार्को टेस्ट पर फैसला आएगा।

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