Haryana: गणतंत्र दिवस के मौके पर हरियाणा पेश करेगा ‘मेरा परिवार-मेरी पहचान’ की झांकी

Haryana: ‘मेरा परिवार-मेरी पहचान’ यह है हरियाणा सरकार का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम, जो ‘विकसित भारत’ का सपना साकार करने में अहम भूमिका निभा रहा है। कार्यक्रम का मकसद जरूरतमंदों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना है। इसके लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जा रहा है। सरकार हर परिवार का आंकड़ा जमा करके अपडेट करती है।

अब हरियाणा सरकार परिवार पहचान पत्र के जरिए हर जरूरतमंद तक योजनाएं पहुंचा रही है। इस साल गणतंत्र दिवस परेड पर हरियाणा की झांकी की थीम भी ‘मेरा परिवार-मेरी पहचान’ रखी गई है। झांकी में एक हरियाणवी महिला के लैपटॉप पर महिला सशक्तीकरण का पारंपरिक प्रतीक है। उसे परिवार पहचान पत्र के जरिए शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप मिली है।

महिला का डिजिटल डिवाइस विकसित डिजिटल भारत का प्रतीक है। इसका प्रसार हरियाणा के कोने-कोने में है। ये घर बैठे एक क्लिक से परिवार पहचान पत्र के जरिए सरकारी योजनाओं तक पहुंच और उनका फायदा उठाने की सुविधा देता है। झांकी में महिला को गेहूं के खेत में बैठा दिखाया गया है। ये हरियाणा में उगाए गए एक करोड़ 20 लाख मीट्रिक टन गेहूं का प्रतीक है।

झांकी के पिछले हिस्से में फोन के जरिए परिवार पहचान पत्र के फायदे दिखाए गए हैं। जैसे राशन की बेरोकटोक खरीद, किसानों को खेती के लिए सब्सिडी, युवा छात्रों को स्कॉलरशिप और बुजुर्गों को पेंशन। ये कार्ड उन हितधारकों तक पहुंच देता है जिनकी नुमाइंदगी करना इसका मकसद है। यानी महिलाएं, बुजुर्ग, किसान और युवा।

हरियाणा के नोडल अधिकारी का कहना है कि “हमारी झांकी का जो थीम है वो परिवार पहचान पत्र है। परिवार पहचान पत्र हरियाणा की एक ऐसी सेवा जिसके माध्यम से जितनी भी तरह की सेवाएं प्रदेश के नागरिकों को मिलनी चाहिए। वो ऑटोमेटिकली मिल जाते हैं। क्योंकि पूरे प्रदेश के लोगों का आंकड़ा उसके तहत सरकार के पास है। जैसे किसी की उम्र 60 साल होते ही ऑटोमेटिकली पेंशन मिल जाती है। 18 साल की उम्र में वोट आई कार्ड बन जाता है। पढ़ने वाले बच्चों को किताबें, वर्दियां और ड्रेस वो सब चीजें ऑटोमेटिकली मिल जाती है। ”

उन्होंने कहा कि “झांकी के दो हिस्से हैं। पहला हिस्सा ट्रेक्टर वाला है, दूसरा हिस्सा ट्रॉली का हिस्सा है। जो पहले वाला हिस्सा है ट्रेक्टर वाला, वो परिवार ‘परिवार पहचान पत्र’ को समर्पित है।
उसमें जितने तरह की सुविधाएं उसमें मिलती है, वो दर्शाया गया है। पिछले वाले हिस्सों को तीन भागों में बांटा गया है। पहला हिस्सा जो है उसमें महिलाएं फूलों की खेती कर रही है। उसमें सबसे पीछे औधोगिकरण है। बीच में रेपिड मेट्रो है और सड़कों का मजबूत तंत्र दिखाया गया है। ये पूरी की पूरी झांकी में दिखाया गया है। झांकी के ट्रॉली वाले भाग में झांकी के दोनों ओर जो हमारे सिंधु घाटी सिविलाइजेशन है उसको दर्शाया गया है, 19 बच्चे परफॉर्म करेंगे। 16 बच्चे झांकी के नीचे रहेंगे जो डांस करते हुए कर्तव्य पथ पर चलेंगे। तीन बच्चे जो हैं वो ऊपर किसान के रूप में खड़े होंगे।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *