डबवाली अग्निकांड: 5 मिनट में जिंदा जल गए थे 442 लोग, जानिए कैसे हुई थी देश की सबसे बड़ी अग्नि त्रासदी

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सिरसा. हरियाणा के सिरसा के मंडी डबवाली में चौटाला रोड पर एशिया के सबसे भीषण अग्निकांड (Dabwali Agnikand) में सैंकड़ो लोग मारे (मृत्यु हो गई) गए थे. 24 साल पहले इस शहर में हुए भीषण अग्निकांड की काली छाया से शहरवासी आज तक नहीं निकल सके हैं. अग्निकांड से प्रभावित परिवारों को आज समस्याएं झुलसा रही हैं. पीड़ित परिवारों को जहां मुआवजा पाने के लिए लंबी अदालती लड़ाई लड़नी पड़ी जिसके बाद कोर्ट के आदेशों से मुआवजा राशि मिल सकी. वहीं, अग्निकांड में झुलस कर हमेशा के लिए रूप और त्वचा गंवा चुके पीड़ितों के लिए ऐसी मदद नहीं मिल सकी.

मंडी डबवाली में 23 दिसम्बर 1995 को राजीव मैरिज पैलेस के प्रागंण में डीएवी पब्लिक स्कूल का वार्षिक उत्सव का कार्यकर्म चल रहा था, जिसमें लगभग 1500 के करीब दर्शक थे. बढ़ती हुई भीड़ को देखकर मुख्य गेट को लॉक कर दिया गया था. उसी दौरान स्कूल के मुख्य गेट में भीषण आग लग गई, देखते ही देखते अगले 5 मिनटों में लाशों के ढेर लग गए.

उसी समय बच्चों सहित 442 लोग अकाल मृत्यु का ग्रास बने और 150 सौ से ज्यादा गंभीर रूप से घायल हुए थे. कुल 442 मृतकों में डबवाली की एक प्रतिशत जनसंख्या थी, जिनमें तीन वर्ष तक के 26 नन्हे-मुन्ने, 222 विद्यार्थी, 150 स्त्रियां और 44 पुरुष थे. पंडाल में बिछी बेइंतहा लाशों में 13 बच्चों को पहचान पाना भी मुश्किल था. हादसे में 196 घायलों में 121 लगभग स्वस्थ हो गए. जबकि 22 विकलांग हो चुके हैं और 53 का इलाज चल रहा है.

विश्व के इस भीषण अग्नि कांड में कई लोगों के परिजन सहित बच्चों के माता पिता भी इस कार्यकर्म में मौजूद थे. कई अध्यापक, दर्शक भी भीषण आग में मारे गए थे. कई परिवार पूरे ही खत्म हो गए थे. इस अग्निकांड ने पूरे देश को सदमे में डाल दिया था, जिसमे सैंकड़ों मासूमों की जान गई थी. उसी समय इस कार्यकर्म में जिला के उपायुक्त एम्पी बिडलान भी मौजूद थे जो की उस कार्यकर्म के मुख्य अतिथि थे.

अंतिम संस्कार के लिए भी जगह पड़ गई थी कम

इस भीषण अग्निकांड में मारे गए बच्चों, महिलाओं, युवकों और पुरुषों के शवों को दफनाने और जलाने के लिए शहर के रामबाग में स्थान कम पड़ गया था. इसके चलते लोगों ने खेत-खलिहानों में शवों को दफनाया और अंतिम संस्कार किया. ऐसा ही हाल आग में झुलसे लोगों के उपचार को लेकर हुआ.

अस्पतालों में नहीं था मरीजों का रखने का पर्याप्त स्थान

अस्पतालों में डॉक्टरों का अभाव था और मरीजों को रखने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं मिल सका. घायलों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों के साथ-साथ आसपास के शहरों में और गंभीर घायलों को लुधियाना, चंडीगढ़, रोहतक, दिल्ली के निजी व सरकारी अस्पतालों में ले जाया गया. वहीं डबवाली में इस बार अग्निकांड की 26वीं बरसी पर अग्निकांड एसोसिएशन ने बड़ा फैसला लेते हुए बरसी को अग्नि सुरक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया है.

आपके शहर से (सिरसा)

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