New Delhi: मेजर सरबजीत सिंह के नेतृत्व में भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट की टुकड़ी ने शुक्रवार को 75वें गणतंत्र दिवस परेड के दौरान कर्तव्य पथ पर मार्च किया। रेजिमेंट की स्थापना 1846 में ‘शेर-ए-पंजाब’ महाराजा रणजीत सिंह की सेना के अवशेषों से की गई थी।
इसने उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत (ब्रिटिश भारत का एक प्रांत) और प्रथम विश्व युद्ध में कई लड़ाइयों और अभियानों जैसे टोफ्रेक (1885), सारागढ़ी (1897), ला बस्सी (1914), न्यूवे चैपल (1914) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आजादी के बाद सिख रेजिमेंट ने श्रीनगर (1947), टिथवाल (1948), बुर्की (1965), राजा (1965), पुंछ (1971) और परबत अली (1971) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अब तक रेजिमेंट को 82 युद्ध सम्मान, 16 थिएटर सम्मान, 10 विक्टोरिया क्रॉस, 21 इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट, दो परमवीर चक्र, तीन अशोक चक्र, एक पद्म विभूषण, दो पद्म भूषण, 11 परम विशिष्ट सेवा पदक, 11 परम विशिष्ट सेवा पदक, 14 महावीर चक्र, 12 कीर्ति चक्र और दो उत्तम विशिष्ट सेवा पदक शामिल है। इसके अलावा रेजिमेंट को 72 शौर्य चक्र, एक पद्म श्री, 19 अति विशिष्ट सेवा पदक, आठ वीर चक्र, नौ युद्ध सेवा पदक, 293 सेना पदक, 61 विशिष्ट सेवा पदक और सात अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
सिख रेजिमेंट के बाद आर्मी एयर डिफेंस कॉलेज एंड सेंटर, डोगरा रेजिमेंट सेंटर और इंडियन आर्मी सर्विस कोर सेंटर (उत्तर) के संयुक्त बैंड ने ‘सारे जहां से अच्छा, हिंदुस्तान हमारा’ की धुन पर कर्तव्य पथ पर मार्च किया। संयुक्त बैंड में 72 संगीतकार शामिल थे और इसका नेतृत्व एएडी कॉलेज और सेंटर के सूबेदार एम राजेश ने किया था।
इसके बाद कैप्टन चिन्मय शेखर तपस्वी के नेतृत्व में कुमाऊं रेजिमेंट की टुकड़ी आई, आजादी के बाद ये जम्मू कश्मीर में देखने वाली पहली रेजिमेंट थी, जहां मेजर सोमनाथ शर्मा बडगाम में श्रीनगर हवाई क्षेत्र की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे। उन्हें मरणोपरांत देश का पहला परमवीर चक्र मिला।
अगली टुकड़ी मराठा लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट सेंटर, जाट रेजिमेंटल सेंटर और आर्मी ऑर्डनेंस कोर सेंटर के 72 संगीतकारों का संयुक्त बैंड था। बैंड का नेतृत्व एओसी सेंटर के सूबेदार अजय कुमार एन ने किया, जिनकी सहायता मराठा लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट के सूबेदार मेजर राजू भजंत्री और जाट रेजिमेंटल सेंटर के नायब सूबेदार किशन पाल सिंह ने की।