Farmer March: पंजाब-हरियाणा के दो बॉर्डर प्वाइंट पर किसानों ने फिर शुरू किया ‘दिल्ली चलो’ मार्च

Farmer March:  किसानों ने ‘दिल्ली चलो’ मार्च से पहले शंभू बॉर्डर एक क्रेन और ट्रैक्टर तैनात किए हैं, किसान दिल्ली मार्च के लिए राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने अपने ट्रैक्टरों को स्टील से ढके पहियों के साथ खड़ा किया है। किसानों के मार्च को देखते हुए बॉर्डर इलाके में बड़े पैमाने पर तैयारियां की जा रही हैं। किसानों को खाना तैयार करते और नाश्ता करते हुए भी देखा गया। किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चाहिए कि वे आगे आएं और इस मुद्दे का हल ढूंढें। पंढेर ने कहा कि सभी किसान शांतिपूर्ण तरीके के साथ मार्च करेंगे।

सूत्रों के मुताबिक केंद्र ने अनुमान लगाया है कि पंजाब-हरियाणा सीमा पर 1,200 ट्रैक्टर-ट्रॉली, 300 कारों, 10 मिनी बसों के साथ-साथ छोटी गाड़ियों के साथ लगभग 14,000 लोग इकट्ठा हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार ने इसे लेकर पंजाब सरकार से कड़ा ऐतराज जताया है। पंजाब सरकार को भेजे पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ये भी कहा कि राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था की हालत पिछले कुछ दिनों से चिंता का विषय बनी हुई है। मंत्रालय ने कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा है।

गृह मंत्रालय ने कहा कि किसानों की आड़ में कई शरारती तत्व हरियाणा से लगती पंजाब की सीमा पर शंभू बॉर्डर के पास भारी मशीनरी पहुंचाकर कर पथराव कर रहे हैं। फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित कई मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के लिए ‘दिल्ली चलो’ मार्च के बाद से प्रदर्शनकारी किसान हरियाणा के साथ पंजाब की सीमा पर शंभू और खनौरी प्वाइंट पर डटे हुए
हैं। सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच कई बार झड़प भी हुईं।

आंदोलन में हिस्सा ले रहे किसान नेताओं ने सरकारी एजेंसियों के पांच साल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर दाल, मक्का और कपास की खरीद के केंद्र के प्रस्ताव को सोमवार को खारिज करते हुए कहा कि ये किसानों के हित में नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक राजपुरा-अंबाला रोड पर शंभू बैरियर पर लगभग 14,000 लोगों को इकट्ठा होने दिया गया। इनमें लगभग 1,200 ट्रैक्टर-ट्रॉली, 300 कार, 10 मिनी बसें और कई दूसरी छोटी गाड़ियां शामिल हैं।

किसान नेताओं का कहना है कि “देखिए किसानों का एक ही विकल्प बचा है कि स्वंय प्रधानमंत्री जी आगे आएं और इसका कुछ सुखद निर्णय करें। क्रेन का कोई यूज नहीं, हम पीसफुल मार्च करेंगे।”

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