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पिछले चुनाव परिणाम पर नजर
2015 विधानसभा चुनाव में नरेला सीट से आम आदमी पार्टी के शरद चौहान को जनता ने अपना विधायक चुना था. इस सीट पर शरद कुमार ने बीजेपी के नील दमन खत्री को करीब 40 हजार वोटों से मात दी थी. इस सीट पर वोटर्स की संख्या 2 लाख 41 हजार के आसपास है. 2015 में इस सीट पर 66.52 फीसदी वोटिंग हुई थी. 1993 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुए थे और ये इलाका दिल्ली के बिजनेस घराने में शुमार है.
नरेला सीट.
पहली बार बीजेपी ने खोला था खाता
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में नरेला सीट का खास महत्व रहा है. यह सीट उत्तर पश्चिम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आती है. अनूसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट को 1993 में अलग विधानसभा क्षेत्र घोषित किया गया था. पहली बार बीजेपी के इंद्रजीत सिंह इस सीट से चुनाव जीते थे. इसके बाद 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चरण सिंह कंडेरा ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद कांग्रेस यहां लगातार दो बार चुनाव जीती थी.
‘जहांगीरनामा’ में नरेला का जिक्र
इस विधानसभा क्षेत्र को इतिहास से जोड़कर भी देखा जाता है. नरेला हड़प्पा संस्कृति के भोरगढ़ गांव के समीप बसा है. नरेला का जिक्र मुगल सम्राट जहांगीर की जीवनी ‘जहांगीरनामा’ में भी मिलता है. दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर के पास बसे इस क्षेत्र में भारी तादाद में इंडस्ट्री भी हैं.
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