Chhattisgarh: ऐसे समय में जब उत्तर भारत में पराली एक समस्या बन चुकी है, छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार में महिलाओं के एक समूह के लिए ये पैसे कमाने का जरिया बन चुकी है।
बलौदाबाजार में 45 महिलाओं की एक सहकारी संस्था पराली को जरूरी चीजों में बदल रही है और किसानों के लिए समस्या और कचरा माने जाने वाली पराली ज्यादा कमाई का जरिया बन रही है।
वे पराली को छीलकर उससे टोकरियां, फूलदान, दीवार की सजावट और टेबल मैट में बदल रही हैं, वन विभाग ने महिलाओं को व्यवसाय में आगे बढ़ाया।
प्रशिक्षको का कहना है कि “अगर हम किसी अधिकारी को दे रहे हैं कोई गिफ्ट तो क्यों न महिलाओं की आर्ट को खरीदकर उनको उसी पैसों के देकर वो उस आर्ट को सेलिंग करे, तो ये चीजें सरकार में हो रही रही है। जैसे कि मैंने ऑफर दिया बारनवापारा का और कलेक्टर सर को ये बहुत पसंद आया कि इसमें जो आर्ट है हम अपने बार में इसको कलाकृति दे सकते हैं।”
“मैं सभी लोगों का भी धन्यवाद करती हूं। अब तक का हमारा छत्तीसगढ़ में सबसे बेस्ट ट्रेनिंग रहा। जहां पर हमने 10 दिन में ऐसे कला गुरु पांच-छह निकाल दिए यहां पर जो हमारे जाने के बाद यहां पर स्वयं काम करेगी।”
“आज के जमाने में हर कोई दो पैसा कमाकर निकल जाता है। लेकिन हमारा मुद्दा ये है कि सहेली सोशल वेलफेयर फाउंडेशन का खास मुद्दा ये कहलाता है कि स्व-रोजगार देना। हमने हर एक महिलाओं को आर्ट के माध्यम से फायदा दिया है घाटा नहीं।”