Business News: रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि वापस लिए जा रहे 2,000 रुपये के नोटों में से 87 प्रतिशत बैंकों में जमा के रूप में वापस आ गए हैं, जबकि बाकी को काउंटरों पर बदल दिया गया है। द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा के बाद शक्तिकांत दास ने कहा कि 19 मई, 2023 तक चलन में मौजूद 2,000 रुपये के 3.56 लाख करोड़ रुपये के नोटों में से 12,000 करोड़ रुपये अब तक वापस नहीं आए हैं।
इससे पहले आरबीआई की तरफ से कहा गया था कि 29 सितंबर तक 3.42 लाख करोड़ रुपये के नोट वापस आ चुके हैं और 14,000 करोड़ रुपये अभी वापस नहीं आए हैं। केंद्रीय बैंक ने नोटों को वापस करने की समयसीमा भी एक हफ्ते के लिए बढ़ा दी थी। दास ने कहा कि रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति के चार प्रतिशत के लक्ष्य पर जोर देना चाहता है और जब तक मूल्य वृद्धि के आंकड़े नीचे नहीं आते, मौद्रिक नीति सक्रिय रूप से अवस्फीतिकारी बनी रहेगी।
दास ने कहा कि सरकार का बैंकर होने के नाते आरबीआई को केंद्र सरकार के वित्तीय हालात को लेकर कोई चिंता नहीं है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर जे. स्वामीनाथन ने कहा कि कुल लोन ग्रोथ 13-14 प्रतिशत की तुलना में 33 प्रतिशत के ‘आउटलायर’ लोन ग्रोथ ने आरबीआई को पर्सनल लोन के मुद्दे को उठाया है और बैंकों को किसी भी जोखिम से बचने के लिए कदम उठाने के लिए प्रेरित किया।
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आरबीआई गवर्नर ने फाइनेंसरों से कहा कि वे इस बात की जानकारी लें कि संकट कहां आने की संभावना है और उचित कदम उठाएं, शक्तिकांत दास ने ये भी कहा कि अगर कोई अनऑडिटेड नतीजों को देखता है, तो जून तिमाही में ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट में सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा कि “बड़ा हिस्सा पहले ही मिल चुका है, कुछ हिस्से कानूनी मामलों में या प्रवर्तन एजेंसियों के पास फंस जाएंगे। इसलिए ये अपना काम करेगा, कुछ हद तक, एक बड़ा हिस्सा पहले ही किया जा चुका है और आरबीआई के निर्गम कार्यालयों के माध्यम से निकासी के लिए सात अक्टूबर के बाद भी समय दिया है, हम उम्मीद करते हैं कि किसी भी मामले में इसमें से अधिकांश वापस ले लिया जाएगा।”