Patna: बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने राज्य के दौरे पर आए 16वें वित्त आयोग के समक्ष विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठाई। आयोग के अध्यक्ष और मशहूर अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया ने राज्य सरकार का ज्ञापन मिलने के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान इस बात का खुलासा किया।
पनगढ़िया ने कहा कि उन्हें पता है कि बिहार के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा एक “लंबे समय से चली आ रही मांग” है, जिसका सामना उन्होंने नीति आयोग में अपने कार्यकाल के दौरान भी किया था, लेकिन उन्होंने दोहराया कि “ये वित्त आयोग के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है”।
उनके कार्यालय से जारी एक बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि उन्हें पनगढ़िया की अध्यक्षता वाले आयोग से “बड़ी उम्मीदें” हैं, “जो नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति होने के नाते बिहार के सामाजिक और आर्थिक ढांचे से वाकिफ हैं”।
अरविंद पनगढ़िया ने कहा, “बिहार सरकार द्वारा विशेष श्रेणी के दर्जे की मांग उस ज्ञापन का हिस्सा है जो हमें दिया गया है। ये ऐसा मामला नहीं है जिस पर वित्त आयोग का अधिकार हो और कम से कम इस समय भारत सरकार में किसी भी राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा प्राप्त नहीं है। ये पहले योजना आयोग के अधीन था। आयोग राज्यों को विशेष श्रेणी के राज्यों और सामान्य श्रेणी के राज्यों के बीच विभाजित करता था, लेकिन योजना आयोग के आने के साथ ही ये वर्गीकरण खत्म हो गया है।
वर्तमान में ये अस्तित्व में नहीं है। ये लंबे समय से चली आ रही मांग है, जब मैं नीति आयोग में था, यहां तक कि नीति आयोग में आने से पहले भी ये मुद्दा था। चूंकि ये जारी है, इसलिए ये ज्ञापन में शामिल है जो हमें मिला है। लेकिन ये ऐसा मामला नहीं है जिस पर वित्त आयोग काम कर सके।”