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रिपोर्ट- रितु रोहिणी
पटना. बिहार के लिहाज से साल 2021 काफी महत्वपूर्ण रहा जहां डेढ़ दशक तक सत्ता पर काबिज रहने के बाद नीतीश कुमार को जनता ने एक बार फिर मौका दिया और तमाम उठापटक के बाद भी नीतीश कुमार ने बिहार की कमान संभाली तो वहीं, नीतीश कुमार के लिए ये सफर आसान भी नहीं रहा. कोरोना, शराबबंदी और कानून व्यवस्था पर लगातार नीतीश कुमार पर उंगलियां उठती रहीं. इस बीच बिहार की मुख्य विपक्षी दल राजद के लिए भी यह साल काफी अहम रहा. जहां लालू प्रसाद यादव 3 सालों बाद बिहार की धरती पर वापस लौटे तो वहीं बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी अपने वैवाहिक जीवन में प्रवेश किया. आइए आपको बताते हैं कि बिहार की मुख्य विपक्षी दल राजद की लिहाज से कैसा रहा साल 2021.
मेहनत का रंग नहीं दिखा- साल 2020 के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए थे जिसकी कमान खुद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने संभाली थी और जमकर मेहनत भी की थी. परिणाम आए, लेकिन तमाम मेहनत रंग नहीं ला सकी. तेजस्वी यादव नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में बने रहे. कहा जा सकता है कि तेजस्वी यादव ने जिस नए साल 2021 की कल्पना 2020 के अंत समय चुनाव के व्यक्त की थी, जिसमें उनकी पार्टी सरकार में होती वो पूरा न हो सका.
पार्टी से रूठे लालू के बड़े लाल तेजप्रताप
इसी साल सितंबर में लालू के बड़े लाल तेजप्रताप यादव पार्टी से रूठ गए और उन्होंने ‘छात्र जनशक्ति परिषद’ नाम से अपना अलग संगठन बना लिया. उन्होंने अपने इस कदम का जिम्मेवार पार्टी के वरिष्ठ नेता और राजद अध्यक्ष जगदानंद सिंह को ठहराया और कहा कि वो पार्टी को कमजोर कर रहे हैं. उनका आरोप यह भई था कि पार्टी में अब उनकी (तेजप्रताप यादव) उपेक्षा होने लगी है. तेजप्रताप यादव के इस कदम ने खूब सुर्खियां बटोरीं और लोगों ने अपनी बातों से कायसों के बाजार को गर्म रखा.
3 सालों बाद बिहार पहुंचे लालू यादव
इस साल नवंबर महीने में बिहार के दो सीट कुशेश्वरस्थान एवं तारापुर पर उपचुनाव हुए. 3 सालों बाद अपनी पार्टी में जान फूंकने और चुनाव में जीत का सपना लिए राजद सुप्रीमो लालू यादव खुद बिहार की धरती पर पहुंचे. लगभग 5 सालों बाद किसी सभा को संबोधित भी किया. राजद के लिए ये ऐतिहासिक दिन था और लालू यादव और उनकी पार्टी ने इसके जरिए खूब सुर्खियां भी बटोरीं. सुर्खियां उनके बयान को लेकर भी खूब बनी जिसमें उन्होंने बिहार कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया. इस बयान के चलते उन्हें दलितविरोधी होने की बात भी सियासी गलियारों में खूब गूंजी.
उपचुनाव में दोनों सीटों पर मिली हार
नवंबर महीने में बिहार में हुए दो सीटों पर उपचुनाव में राजद और जदयू दोनों ने जान फूंक दी थी. जहां एक ओर राजद सुप्रीमो लालू यादव ने 3 सालों के लंबे अंतराल के बाद बिहार पहुंचकर चुनावी सभा को संबोधित किया, वहीं जदयू के शीर्ष नेताओं ने लगातार कुशेश्वरस्थान और तारापुर में कैम्पिंग की. इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कई जनसभाएं की. परिणाम आए और जदयू ने दोनों सीटों को अपने पाले में कर लिया. राजद को फिर हार का मुंह देखना पड़ा और लालू यादव का बिहार आना सफल नहीं हो सका.
तेजस्वी यादव का वैवाहिक जीवन में प्रवेश
वर्ष 2021 के खत्म होने से पहले दिसंबर में बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपने वैवाहिक जीवन की शुरुआत करते हुए दिल्ली में गुपचुप तरीके से शादी की. तेजस्वी यादव की धर्मपत्नी क्रिश्चियन हैं. जिसको लेकर भी साल के अंत होते होते खूब बवाल हुआ. तेजस्वी यादव के सगे मामा साधु यादव की पूरे बवाल में अहम भूमिका रही. मीडिया के सामने आकर साधु यादव ने दूसरे धर्म की लड़की के साथ हुए इस शादी पर अपना जमकर विरोध जताया. उन्होंने यहां तक कह दिया कि तेजस्वी ने दूसरे धर्म की लड़की से शादी करके कुल का नाश कर दिया. लेकिन, तेजप्रताप अपने छोटे भाई तेजस्वी और पूरे परिवार के साथ ढाल बनकर खड़े रहे और अपने बयानों के जरिए साधु यादव को करारा जवाब भी देते रहे.
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