Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में बुधवार को एक कोयला खदान के विस्तार का विरोध कर रहे ग्रामीणों और पुलिस के बीच हुई झड़प में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि झड़प में कुछ ग्रामीणों को भी चोटें आई हैं। उन्होंने बताया कि जिले के लखनपुर थानाक्षेत्र के परसोड़ी कला गांव के ग्रामीण कोल इंडिया की ‘साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड’ (एसईसीएल) के अमेरा एक्सटेंशन कोयला परियोजना का विरोध कर रहे हैं।
खदान के लिए जमीन अधिग्रहण का कार्य 2016 में पूरा हो गया था। सरगुजा जिले के अतिरिक्त जिलाधिकारी सुनील नायक ने बताया कि विरोध के बारे में जानकारी मिलने के बाद जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारी विरोध स्थल के लिए रवाना हुए थे। उन्होंने बताया कि 2016 में परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण का कार्य किया गया था और कुछ ग्रामीणों को जमीन अधिग्रहण के बदले मुआवजा दिया गया था लेकिन कई लोगों ने मुआवजा लेने से मना कर दिया और खनन के काम में रुकावट डालने की कोशिश की।
नायक ने बताया कि अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की और उनसे कहा कि जमीन अधिग्रहण का काम पहले ही पूरा हो चुका है और एसईसीएल को अपने अधिकृत काम करने की इजाजत दी जानी चाहिए। अधिकारी ने बताया, “अगर वे (ग्रामीण) अपनी चिंताएं बताना चाहते हैं, तो कानूनी रास्ते मौजूद हैं।” उन्होंने बताया कि विरोध के दौरान कुछ ग्रामीण हिंसक हो गए और उन्होंने पुलिसकर्मियों पर पथराव शुरू कर दिया।
अधिकारी ने बताया कि इस घटना में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। नायक ने बताया कि गंभीर रूप से घायल लोगों को स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों से बात की जा रही है और उनसे खनन कार्य में रुकावट नहीं डालने व अधिकारियों के साथ सहयोग करने की अपील की गई है।
घटना से जुड़े प्रसारित वीडियो में प्रदर्शनकारी अमेरा कोयला खदान के अंदर घुसते और पुलिसकर्मियों से भिड़ते हुए दिख रहे हैं, जिसके बाद सुरक्षाबल के जवानों को लाठीचार्ज करना पड़ा। नायक ने बताया कि खनन क्षेत्र में हालात तनावपूर्ण बने रहने के कारण अतिरिक्त बलों को तैनात किया गया है। वहीं परसोड़ी कला गांव की एक प्रदर्शनकारी लीलावती ने बताया कि वह परियोजना के लिए अपनी जमीन नहीं देंगी।
उन्होंने कहा, “हमें अपने गांव की मिट्टी से प्यार है और हम इसे छोड़ना नहीं चाहते। एसईसीएल कोयला ले लेगा लेकिन हमारा क्या होगा? हमारे पुरखे इसी जमीन पर रहते थे और इसी से अपना गुजारा करते थे। अब हमारी बारी है। क्या मेरे बेटे और पोते को भीख मांगने के लिए छोड़ दिया जाए? हमारी पूरी जमीन खदान के लिए ली जा रही है। हम इसे न तो कंपनी को देंगे और न ही प्रशासन को।”