ये बात किसी से छिपी नहीं है कि हिन्दू धर्म में विवाहित महिलाओं के सोलह श्रृंगार का कितना महत्व है। माथे की बिंदी से लेकर पांव की बिछिया और नाक की नथ से लेकर चूड़ियां तक सोलह श्रृंगार का एक हिस्सा है। ऐसे ही महिलाओं की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है नाक की नथ। नथ पहनने से लड़कियों की सुंदरता बढ़ती है। ऐसे में नाक में नथ पहनने की एक परंपरा यह भी रही है कि ऐसा करने से महिलाओं के सुहागिन होने का पता चलता है। यही नहीं, हिंदू समाज में पहले नाक उन्हीं महिलाओं की छेदी जाती थी, जो विवाहित होती थीं। नथ को सुहाग की निशानी माना जाता है इसलिए इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। इतना ही नहीं, उत्तर भारत में हर शुभ काम पर नथ पहनने का रिवाज है।
सोलह श्रृंगार की निशानी
हिंदू धर्म में शादीशुदा महिलाओं के लिए सोलह श्रृंगार का बहुत महत्व है। माथे पर मांगटीका से लेकर पांव की बिछिया तक और चूड़ियां से लेकर नाक की नथ तक सभी चीजें सोलह श्रृंगार में शामिल होती हैं। नाक में नथ को विवाहित महिलाओं के सौभाग्य की निशानी माना जाता है। इससे किसी महिला के सुहागिन होने का पता चलता है। हिंदू धर्म में पहले सिर्फ उन महिलाओं की नाक छेदी जाती थी जो विवाहित होती थीं.
सौभाग्य का प्रतीक
उत्तर भारत खासकर पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में महिलाएं त्योहार या किसी फंक्शन पर अच्छी तरह सजती संवरती हैं। ऐसे में ज़ेवर पहनने का भी खूब चलन है। घर में हर शुभ मौके पर नथ पहनने का रिवाज है। नथ को सुहाग की निशानी माना जाता है। हालांकि आजकल सिर्फ शादी या किसी बड़े फंक्शन में ही महिलाएं नथ पहनती हैं।
खूबसूरती बढ़ाती है
साड़ी या लंहगे पर नथ पहना न सिर्फ सौभाग्य की निशानी है बल्कि नथ पहनने से आपकी खूबसूरती भी बढ़ती है। नथ पहनकर एक अलग ही लुक आता है। अगर आपको किसी पार्टी फंक्शन में सबसे खास दिखना है तो नथ पहन सकते हैं। रिंग वाली बड़ी सी नथ सुंदरता को और बढ़ा देती है। हालांकि आजकल नथ की जगह रिंग नोज पिन या लौंग पहनने का चलन काफी बढ़ गया है। इसे कैरी करना भी आसान है।
आमतौर पर इसे सिर्फ श्रृंगार के नजरिए से देखा जाता है, लेकिन नथ पहनने के लिए नाक में जो छेद किया जाता है, उससे लड़कियों को कई स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं।
नाक छिदवाने से एक्यूपंक्चर का लाभ
जिस प्रकार शरीर के अलग-अलग हिस्सों को दबाने से एक्यूप्रेशर का लाभ मिलता है, ठीक उसी प्रकार नाक छिदवाने से एक्यूपंक्चर का लाभ मिलता है। इसके प्रभाव से श्वास संबंधी रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है। कफ, सर्दी-जुकाम आदि रोगों में भी इससे लाभ मिलते हैं।
मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं होती है दूर
आयुर्वेद के अनुसार नाक के एक प्रमुख हिस्से पर छेद करने से स्त्रियों को मासिक धर्म से जुड़ी कई परेशानियों में राहत मिल सकती है। इस समय महिला को कम दर्द झेलना पडेगा। इसका कारण वैज्ञानिकों ने नाक की कुछ नसों का एक स्त्री के गर्भ से जुड़ा हुआ बताया है।
प्रसव के समय होती है कम पीड़ा
लड़कियों की बाई ओर की नाक छेदी जाती है क्योंकि उस जगह की नसें नारी के महिला प्रजनन अंगों से जुडी हुई होती हैं। नाक के इस हिस्से पर छेद करने से महिला को प्रसव के समय भी कम दर्द का सामना करना पड़ता है।
सोने या चांदी की नथ करती है दवा का काम
आमतौर पर लड़कियां सोने या चांदी से बनी नथ पहनती हैं। ये धातुएं लगातार हमारे शरीर के संपर्क में रहती हैं तो इनके गुण हमें प्राप्त होते हैं। आयुर्वेद में स्वर्ण भस्म और रजत भस्म बहुत सी बीमारियों में दवा का काम करती है।