Pahalgam Attack: पहलगाम आतंकी हमले के बाद स्थानीय कारोबारियों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। हमले से पहले पहलगाम के ये इलाके पर्यटकों से भरे रहते थे लेकिन अब बहुत कम पर्यटक ही दिखाई दे रहे हैं। पर्यटकों की कमी की वजह से होटल के कर्मचारियों को भी छुट्टी पर भेज दिया गया है। खाने-पीने और हाउसकीपिंग का काम करने वाले बारामुल्ला और आस-पास के इलाकों के कर्मचारी भी घर लौटने को मजबूर हैं क्योंकि उन्हें नहीं पता कि अब उन्हें कब काम मिलेगा।
पहलगाम के मुख्य बाजार में कुछ हथकरघा दुकानें फिर से खुलने लगी हैं। दुकान मालिकों को पर्यटकों की संख्या फिर से बढ़ने की उम्मीद है। कई साल बाद फिर से कारोबार शुरू करने वाले दुकानदार भी बहुत कम कमाई से परेशान हैं। हालांकि, पहलगाम में निराशा के बीच उम्मीद के संकेत भी दिखने लगे हैं।
महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों से पर्यटकों का आना शुरू हो गया है। आतंकी हमले के बाद भले ही पहलगाम की रफ्तार बहुत थम गई हो लेकिन यहां के लोगों का जोश बरकरार है। होटल कर्मचारियों से लेकर दुकानदारों तक, हर कोई शांति और पर्यटकों की वापसी की उम्मीद लगा रहा है।
होटल कर्मचारी ने कहा, “अभी हम घर जा रहे हैं। क्योंकि यहां पर काम नहीं है। काम की वजह से हम घर जा रहे हैं। काम ना होने की वजह से हम घर जा रहे हैं। मालिक ने बोला जब काम होगा तभी वापस आना है। आपकी जॉब लगी हुई है यहां पर। जब काम होगा हमारे यहां तब वापस में हम बुलाएंगे आपको। हम बारामुल्ला जा रहे हैं वापस। अब देखेंगे यहां पर हम तीन-चार साल से काम कर रहे थे। अब देखेंगे क्या होता है वापस, फिलहाल तो बैठना ही है घर में।
होटल के मालिक ने कहा अभी कुछ काम नहीं है टूरिस्ट आ नहीं रहे यहां पर। उनको शायद डर है यहां पर कुछ हो ना जाए। हमें जो भी इसके पीछे कातिल हैं, उनको सख्त से सख्त सजा दी जाए। ताकि टूरिस्ट को लगे कि यहां पर इंसाफ चल रहा है। इंसाफ होना चाहिए उनके साथ जो वहां पर सिविलियन मारे गए।”
हैंडलूम की दुकान के मालिक ने कहा, पहले पहले तीन दिन तक कोई नहीं चलता था इधर इसलिए वो प्रॉब्लम हो गया वो आतंकवादी आया 26 लोग मारे गए बिचारे। वो भी हमारे आदमी हैं वो भी हमारा खून एक ही है। खून एक ही है वो भी हमारे आदमी हैं, कस्टमर को आना पड़ेगा इधर, महरबानी करके बुकिंग कैंसिल मत करो। आना ही पड़ेगा इधर पहलगाम में। नहीं अभी तीन दिन में कुछ नहीं कमाया है। पहले ये था बहुत टूरिस्ट थे यहां पर। बहुत कमाया।”
हैंडलूम की दुकान के कर्मचारी ने कहा, “जी हमारा भी दो, तीन, चार दिन के बाद हमारा भी आज ही दुकान खुला है। चार दिन हमारी दुकान भी बंद रहा है। लेकिन आज थोड़ा सा हमने भी खोला है। लेकिन जो भी ये हुआ है अच्छा नहीं हुआ है। हमारा घर परिवार सब इसी टूरिस्ट के ऊपर ही है। हम पर भी हमने इतना माल लाया आप देख सकते हैं कि हमारा भी सारा इसी के ऊपर है। हम नहीं चाहते हैं कि ये माहौल खराब हो यहां ऐसा मतलब कुछ भी ना हो। हम चाहते हैं कश्मीर अच्छा रहे। यहां जो बाहर से लोग आते हैं वो अच्छे से रहें, मतलब ऐसा नहीं होना चाहिेए। जो भी यहां हुआ वो ऐसा नहीं होना चाहिए।”
गुजरात से आऐ पर्यटक राहुल ने कहा, “ये हम जब 22 तारीख को हम यहां पर आए थे। जिस दिन हुआ था उसी दिन में हम वहां से निकले थे। वहां ऐसे लग रहा था हम नहीं आएं और वहां से ही प्लान कैंसिल कर दिया पूरा। पर कॉन्फिडेंस मिला और यहां पर लोकल लोगों के सपोर्ट के साथ बात हुई। आर्मी के लोगों ने भी बहुत सपोर्ट किया पुलिस ने भी और हम यहां पर आए तो यहां पर आकर के हमें पता चला कि नहीं सब कुछ यहां पर नियंत्रण में है।”
महाराष्ट्र से आऐ पर्यटक नीलेश और श्रद्धा ने बताया, “22 को अटैक हुआ। हम 23 को आए यहां पर। हमें भी ऐसा ही बोला गया था या घर पर जिनको-जिनको न्यूज मिला उन सबने ऐसे ही बोला जाओ मत। सब डर का माहौल था सब जगह से ऐसे ही बोल रहे थे मत जाओ उधर ऐसा चल रहा है। सब बंद हो गया है। सब चीजें था। लेकिन 23 को हम इसमें निकले कि दिल्ली तक जाएंगे अगर हमें लगा श्रीनगर बंद है तो दिल्ली से वहां से घुमेंगे रिटर्न जाएंगे। फिर दिल्ली से सब फ्लाइट चालू था, ,सब सेफ था। श्रीनगर आ गए।”
“एक्चुअली जो माहौल बना है और जो टीवी में हम लोग जो देख रहे हैं, एक्चुअल में यहां पर वैसा नहीं है। डर का माहौल तो नहीं है। यहां पर बहुत ज्यादा सेफ है। यहां के लोकल लोग इतनी रिस्पेक्ट करते हैं, इतने हेल्पफुल हैं और जितनी यहां पर रिस्पेक्ट मिल रहा है, कहीं और तो मुझे नहीं लगता कि इतना हम डिजर्व कर सकते हैं और बहुत सेफ है। पहलगाम का जो हमला हुआ है वो नहीं होना चाहिए था पर हुआ है। पर उनको तो सजा मिलनी चाहिए पर जो डरे हुए हैं घर पर कि जिनके लोग यहां पर हैं तो उन्होंने डरना नहीं चाहिए।”