Delhi: भारतीय सेना और तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू (टीएमआर) के बीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए, इस अवसर पर उप-सेना प्रमुख (स्ट्रैटजी) लेफ्टिनेंट जनरल तरुण कुमार ऐच ने कहा कि तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू ने 15 टीमें तैनात की हैं जिनमें पीर पंजाल से सियाचिन ग्लेशियर तक 11 टीमें और पूर्वी कमान में उत्तरी सिक्किम और तवांग में दो टीमें शामिल हैं। उनके मुताबिक सर्दियों में मध्य कमान में मलारी और गुंजी सेक्टर में दो टीमें तैनात की जाएंगी।
लेफ्टिनेंट जनरल तरुण कुमार ऐच ने बताया कि टीएमआर टीमें मॉडर्न उपकरणों से लैस हैं। उनके मुताबिक हिमस्खलन की आशंका वाले क्षेत्रों में फर्स्ट रिस्पांडरों के रूप में अपने प्राइमरी रोल के अलावा, उन्होंने रेस्क्यू और सर्ववाइवल स्किल को बढ़ाने के लिए शामिल होने वाले सैनिकों की ट्रेनिंग और उनकी मॉनिटरिंग में भी अहम रोल निभाया है।
तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू के फाउंडर हेमंत सचदेव के मुताबिक नौ साल पहले टीएमआर का आइडिया आया था। उन्होंने बताया कि नौ साल के इस सफर में 15 टीमों, 200 से ज्यादा चौकियों और 50,000 से ज्यादा ट्रेंड सैनिकों के जरिए टीएमआर ने कुछ खास सबक सीखे हैं, हालांकि उनका मानना है कि अभी लंबा सफर तय करना बाकी है।
उप-सेना प्रमुख (स्ट्रैटजी) लेफ्टिनेंट जनरल तरुण कुमार ऐच ने कहा कि “टीएमआर ने कुल 15 टीमों को तैनात किया है, जिनमें उत्तरी कमान में पीर पंजाल से सियाचिन ग्लेशियर तक 11 टीमें और पूर्वी कमान में उत्तरी सिक्किम और तवांग में दो टीमें शामिल हैं और आगामी सर्दियों में मध्य कमान में मलारी और गुंजी सेक्टर में दो टीमें तैनात की जाएंगी। टीएमआर टीमें आधुनिक उपकरणों से लैस हैं। हिमस्खलन की आशंका वाले क्षेत्रों में फर्स्ट रिस्पांडरों के रूप में अपने प्राइमरी रोल के अलावा, उन्होंने रेस्क्यू और सर्ववाइवल स्किल को बढ़ाने के लिए शामिल होने वाले सैनिकों की ट्रेनिंग और उनकी मॉनिटरिंग में भी अहम रोल निभाया है।”