India: भारत और अमेरिका के बीच सहयोग को मजबूत करने और दोनों देशों के बीच छात्रों और शोधार्थियों की आवाजाही बढ़ाने के लक्ष्य के तहत अमेरिका के टॉप 17 विश्वविद्यालयों की एक उच्च स्तरीय समिति अगले सप्ताह भारत की यात्रा करेगी। अमेरिकी विश्वविद्यालयों का 31 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद में 26 संस्थानों का दौरा करेगा। हाल में अमेरिका में भारतीयों और भारतीय छात्रों पर हुए हमलों की पृष्ठभूमि में इस दौरे को अहम माना जा रहा है। इन हमलों में कई छात्रों की मौत हो गई है।
यह प्रतिनिधिमंडल अमेरिका और भारत के बीच हाल के सालों में आपसी हित को आगे बढ़ाने के लिए बनाई गई रणनीतियों का ही हिस्सा है। एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा गया है कि अमेरिका के राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों देशों की राजकीय यात्राओं पर गए थे जिससे अमेरिका-भारत व्यापक वैश्विक और रणनीतिक साझेदारी की पुन:पुष्टि हुई थी। ‘इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एजुकेशन’ (आईआईई) की सह-अध्यक्ष ए. सारा इल्चमैन ने पीटीआई वीडियो को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘‘हमें 26 भारतीय संस्थानों में जाने का मौका मिलेगा और दोनों देशों के बीच सहयोग, छात्रों और शोधार्थियों की आवाजाही और संस्थानों के बीच स्थायी साझेदारी को बढ़ावा देने के बारे में बात करने का मौका मिलेगा।’
ए. सारा इलचमैन, सह-अध्यक्ष,अंतरराष्ट्रीय शिक्षा संस्थान ‘‘हमें 26 भारतीय संस्थानों में जाने का मौका मिलेगा और दोनों देशों के बीच सहयोग, छात्रों और शोधार्थियों की आवाजाही और संस्थानों के बीच स्थायी साझेदारी को बढ़ावा देने के बारे में बात करने का मौका मिलेगा। अमेरिका में भारतीय छात्र और विद्वान अब रिकॉर्ड संख्या में हैं। इस वक्त करीब 270,000 भारतीय छात्र और लगभग 17,000 भारतीय शोधार्थी देश में हैं ऐसे में इस सहयोग को और आगे बढ़ाने के लिए भारत और भारतीय संस्थानों के साथ संपर्क का ये बेहतर वक्त है।”
उन्होंने कहा कि ‘‘अमेरिका में भारतीय छात्र और विद्वान अब रिकॉर्ड संख्या में हैं, इस वक्त करीब 270,000 भारतीय छात्र और लगभग 17,000 भारतीय शोधार्थी देश में हैं, ऐसे में इस सहयोग को और आगे बढ़ाने के लिए भारत और भारतीय संस्थानों के साथ संपर्क का यह बेहतर वक्त है।”
इसके साथ ही “हम भी एक ब्रांड हैं, लोग जानते हैं कि अमेरिका में पढने की ज्यादा मांग रहती है, इसके अलावा अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्रों का स्वागत करने के लिए जबरदस्त क्षमता और जगह है। कुछ देश जिनका आपने उल्लेख किया है जैसे यूके या ऑस्ट्रेलिया या कनाडा, उनकी उच्च शिक्षा प्रणाली में लगभग 20 फीसदी या ज्यादा अंतरराष्ट्रीय छात्र हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में, उच्च शिक्षा प्रणाली में केवल छह फीसदी ही अंतरराष्ट्रीय छात्र हैं। इसलिए हमारे पास और ज्यादा स्वागत करने की क्षमता है। बेशक इन सबके काम करने के लिए वीज़ा और समय पर वीज़ा जारी करना बहुत अहम है। कितने वीज़ा आवेदन पाइपलाइन में हैं, कितने स्वीकृत हुए हैं और वीज़ा साक्षात्कार में कितना समय लगता है। इस बारे में राज्य विभाग अधिक खुला और पारदर्शी रहा है। इस पारदर्शिता के साथ हम ज्यादा डेटा और अधिक जानकारी देखना शुरू कर रहे हैं कि वीज़ा प्रक्रिया काम कर रही है, कुछ रुकावटें जो हमने देखी हैं।”