Mumbai: राज्य के कुछ हिस्सों में हिंसक रूप ले चुके मराठा आरक्षण आंदोलन के बीच हालात पर चर्चा के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कई दलों के नेता पहुंचे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि सीएम शिंदे विपक्षी नेताओं को हालातों से निपटने के लिए सरकार की योजनाओं के बारे में बताएंगे और उनका सहयोग मांगेंगे।
मराठा आंदोलन को देखते हुए मराठवाड़ा के पांच जिलों में सरकारी बस सेवाएं पूरी तरह से निलंबित कर दी गई हैं। बीड के कुछ हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया है और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई। मुख्यमंत्री ने लोगों से हिंसा नहीं करने की अपील की है और राजनैतिक दलों से भी ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल होने से बचने को कहा है जिससे हालात और खराब हो।
महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को आदेश जारी कर संबंधित अधिकारियों से पात्र मराठा समुदाय के सदस्यों को नए कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी करने को कहा ताकि उनके लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण लाभ मिल सके। एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) ने अधिकारियों से कुनबियों के संदर्भ वाले पुराने दस्तावेजों का अनुवाद करने और उर्दू और ‘मोदी’ लिपि (जिसका उपयोग पहले के समय में मराठी भाषा लिखने के लिए किया जाता था) में लिखा गया था। उसका अनुवाद करने के लिए कहा।
इन दस्तावेज़ों को डिजिटाइज किया जाएगा, प्रमाणित किया जाएगा और फिर सार्वजनिक डोमेन में डाला जाएगा। यह फैसला तब आया जब सीएम शिंदे ने कहा कि सरकार नियुक्त समिति ने 1.72 करोड़ पुराने दस्तावेजों (निजाम-युग सहित) की जांच की और उनमें से 11,530 रिकॉर्ड पाए गए जहां कुनबी जाति के बारे में लिखा गया था।
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किसानों से जुड़ा कुनबी समुदाय महाराष्ट्र में ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत आता है और समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण लाभ मिलता है, जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में आरक्षण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने कहा कि मराठा समुदाय ‘‘अधूरा आरक्षण’’ स्वीकार नहीं करेगा और महाराष्ट्र सरकार को इस समस्या पर राज्य विधानमंडल का एक विशेष सत्र बुलाना चाहिए। जारांगे ने मराठवाड़ा क्षेत्र में मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने के राज्य मंत्रिमंडल के फैसले पर नाराजगी व्यक्त की।