Sedition Law: लोकसभा में आज केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बड़ा ऐलान किया है, उन्होंने कहा कि राजद्रोह कानून को खत्म किया जायेगा और इसके लिए सरकार की तरफ से एक प्रस्ताव पेश किया गया है. उन्होंने लोकसभा में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए तीन विधेयक पेश किए, जो ब्रिटिश काल के कानून हैं।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि मैं जो तीन विधेयक एक साथ लेकर आया हूं, वो तीनों विधेयक दंड विधान प्रक्रिया है. पहला इंडियन पीनल कोड जो 1860 में बनाया गया, दूसरा क्रिमिनल प्रोसिजर कोड जो 1898 में बनाया गया और तीसरा इंडियन एविडेंस एक्ट, 1872 में अंग्रेजों की संसद ने पारित किए थे. उन्होंने कहा कि इन तीनों को आज हम समाप्त कर तीन नए कानून बनाने के लिए आया हूं.
केंद्रीय गृहमंत्री ने इस दौरान बताया कि अब भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता होगी, वहीं सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता होगी, इसी तरह एविडेंस एक्ट का नाम बदलकर अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम किया गया है और राजद्रोह का कानून खत्म करने का प्रस्ताव रखा गया है, इसके लिए “(भारतीय दंड संहिता) 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता, 2023 अब इस्टैबलिश होगी, इसके साथ ही क्रिमिनल प्रोसीजर कोड 1898 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता प्रस्थापित होगी और इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 प्रस्थापित होगा।”
Sedition Law:
उन्होंने कहा कि “ये कानूनों की जो कानून रिपील होंगे, इस तीनों विधेयक से, उन कानूनों की आत्मा जो है वो कानूनों का मध्य बिंदू है, कानून बनाने का, वो अंग्रेज शासन को मजबूत करने की दृष्टि से कानून बनाए गए थे। अंग्रेज शासन की रक्षा करने के लिए कानून बनाए गए थे और उसका उद्देश्य दंड देने का था, न्याय देने का नहीं था। अमित शाह ने कहा कि “भारतीय दंड संहिता 1860 के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता 2023 लाया जाएगा, आपराधिक नागरिक संहिता 1898 के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 लाया जाएगा और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के स्थान पर भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 लाया जाएगा।
अमित शाह ने कहा कि नए कानून अंग्रेजों द्वारा पारित तीनों कानूनों को खत्म कर देंगे और ये तीनों विधेयक आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए बुनियादी कानून सुनिश्चित करेंगे। पहला भारतीय दंड संहिता जो 1860 में बनाई गई थी, दूसरा आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम जो 1872 में बनाया गया था। गृह मंत्री ने कहा पहला भारतीय दंड संहिता है जो 1860 में बनाया गया था, दूसरा आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1898 है और भारतीय साक्ष्य अधिनियम है जो 1872 में बनाया गया था।”
Sedition Law: अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि भारतीय दंड संहिता 1860 के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 की स्थापना की जाएगी, आपराधिक नागरिक संहिता 1898 के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की स्थापना की जाएगी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के स्थान पर भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 की स्थापना की जाएगी, इसके साथ ही कहा कि आईपीसी की जगह लेने वाले नए विधेयक में राजद्रोह के अपराध पूरी तरह खत्म हो जाएंगे.