नमिता बिष्टआज स्वामी विवेकानंद की जयंती है। देशभर में स्वामी विवेकानंद की जयंती के दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन राष्ट्र के ऐसे युवाओं को समर्पित है, जो भारत को बेहतर भविष्य देने की क्षमता रखते हैं और इसके लिए कार्य करते हैं। हर साल इस दिन को केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों से लेकर, सामाजिक संगठन और रामकृष्ण मिशन के अनुयायी बड़े सम्मान के साथ मनाते हैं। तो चलिए जानते हैं इसके इतिहास और विवेकानंद के जीवन से जुड़ी रोचक और प्रेरणादायक बातों के बारे में…
राष्ट्रीय युवा दिवस का इतिहासदेश का भविष्य कहे जाने वाले युवाओं के लिए स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन को युवा दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत साल 1984 में की गई थी। उस समय की सरकार का ऐसा मानना था कि स्वामी विवेकानंद के विचार, आदर्श और उनके काम करने का तरीका भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का एक स्रोत हो सकते हैं। ऐसे में इस बात को ध्यान में रखते हुए 12 जनवरी 1984 से स्वामी विवेकानंद की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की गई थी।
अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस कब मनाया जाता ?
भारत की तरह पूरी दुनिया में भी युवा दिवस मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युवा दिवस को अगस्त के महीने में मनाया जाता है। 12 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र द्वारा युवा दिवस मनाने के तौर पर चुना गया था और इस दिन विश्व में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। सबसे पहले साल 2000 में इस दिवस का आयोजन होना शुरू हुआ था, लेकिन साल 1985 में इस दिवस की घोषणा संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई थी।
राष्ट्रीय युवा दिवस का उद्देश्य
अपने विचारों और आर्दशों के लिए प्रसिद्ध स्वामी विवेकानंद धर्म, दर्शन, इतिहास, कला, सामाजिक विज्ञान, साहित्य सभी के ज्ञाता थे। इतना ही नहीं वह भारतीय संगीत के ज्ञानी होने के साथ ही एक बेहद अच्छे खिलाड़ी भी थे। उनकी इन्हीं खूबियों की वजह से उनका व्यक्तित्व सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहा है। उन्होंने कई मौकों पर युवाओं के लिए अपने अनमोल विचार भी साझा किए। ऐसे में इस दिवस को इस मसकद से मनाया जाता है कि युवा इस खास मौके पर यह सोच सकें कि वह देश और समाज के लिए क्या कर सकते हैं। साथ ही यह दिन उन्हें यह सोचने का भी अवसर देता है कि वह देश के विकास और प्रगति में कैसे अपना योगदान दे सकते हैं।
2023 की थीम: विकसित युवा-विकसित भारत
राष्ट्रीय युवा महोत्सव का आयोजन हर साल हमारे प्रतिभाशाली युवाओं को राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरित करने के साथ-साथ राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संस्कृति का विश्व बंधुत्व का संदेश प्रदान करने के लिए किया जाता है। यह देश के सभी हिस्सों से विविध संस्कृतियों को एक साझा मंच पर लाता है और प्रतिभागियों को एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना से जोड़ता है। इस साल यह महोत्सव 12 जनवरी से 16 जनवरी तक कर्नाटक के हुबली-धारवाड़ में आयोजित किया जा रहा है, जिसकी थीम है “विकसित युवा – विकसित भारत”।
कौन थे स्वामी विवेकानंद ?
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनका असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। बचपन से ही आधात्म में रूचि रखने वाले नरेंद्रनाथ ने 25 साल की उम्र में संन्यास ले लिया था। संन्यास लेने के बाद वह दुनियाभर में विवेकानंद नाम से मशहूर हुए। वह वेदांत के एक विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनके गुरु का नाम श्री रामकृष्ण था। अपने गुरू से ही विवेकानंद ने आध्यात्मिक शिक्षा हासिल की थी और दुनियाभर में हिन्दुत्व के और अपने गुरू के विचारों को फैलाया था।
1893 में अमेरिका में दिया भाषण
साल 1893 में स्वामी विवेकानंद के द्वारा अमेरिका में आयोजित हुए विश्व धर्म संसद में दिए गए भाषण को आज भी लोगों ने याद रखा हुआ है। स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण में हिंदी में कहा ‘अमेरिका के भाइयों और बहनों’. उनके यह कहते ही आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो में पूरे दो मिनट तक तालियां बजती रही। इसे भारत के इतिहास में गर्व और सम्मान की घटना के तौर जाना जाता है।
स्वामी विवेकानंद से जुड़ी रोचक बातें
बता दें कि स्वामी विवेकानंद चाय प्रेमी थे, लेकिन उस समय कुछ लोग चाय के विरोधी थे। स्वामी विवेकानंद ने अपने मठ में चाय को प्रवेश दिया। एक बार बेलूर मठ में यह कह कर टैक्स बढ़ा दिया गया कि यह एक प्राइवेट गार्डन हाउस है। हालांकि बाद में ब्रिटिश मजिस्ट्रेट की जांच के बाद इस टैक्स को हटा दिया गया।
रामकृष्ण मिशन की स्थापना
वहीं उनके द्वारा स्थापित किए गए रामकृष्ण मिशन को आज दुनिया भर में जाना जाता है और इस भारतीय सामाजिक-धार्मिक संगठन के जरिए कर्म योग के सिद्धांतों, धार्मिक अध्ययन और आध्यात्मिकता जैसी चीजों का ज्ञान लोगों के बांट जाता है। उन्होंने इस संगठन की स्थापना 1897 मं कोलकाता शहर में की थी और 1898 में गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना की थी।
साल 1902 में ली अतिंम सांस
स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवनकाल में दुनिया के कई देशों का दौरा किया था और दुनिया भर में योग और वेदान्त को प्रचलित किया था। इतना ही नहीं उन्होंने पश्चिम संस्कृति और भारतीय संस्कृति के बीच जो दूरी थी उसको भी कम करने में काफी योगदान दिया है। विवेकानंद ने अपने जीवन को समाज कार्य के लिए समर्पित कर दिया था और वो एक साधु का जीवन जीते थे। साल 1902 को उन्होंने अपनी अतिंम सांस ली थी। कहा जाता है कि उनके द्वारा समाधि ली गई थी।
युवाओं को प्रेरित करने वाले स्वामी विवेकानंद के विचार
स्वामी विवेकानंद का जीवन हर वर्ग के लोगों के लिए एक प्रेरणा रहा है। युवाओं से अलग प्रेम रखने वाले स्वामी जी के संदेश और विचार खासतौर पर उन्हीं के लिए होते थे……..
• अगर कोई कार्य करते हुए आप से कुछ गलत हो जाता है, तो इसका मतलब ये नहीं की आप हार गए हैं, बल्कि इन गलतियों का मतलब है की आप कुछ पाने की कोशिशों में लगे हुए हैं।
• अगर आप सकारात्मक सोच रखेंगे तो आपके साथ सब कुछ अच्छा ही होगा। सकारात्मक सोच के जरिए आप अपने जीवन में आसानी से कुछ भी हासिल कर सकते हैं।
• आप किसी भी लक्ष्य को पाने में तभी नाकाम होते हैं, जब आपके अंदर उसे पाने का जज्बा खत्म हो जाता है, इसलिए आप कभी भी अपने अंदर के जज्बे को खत्म ना होने दें।
• लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं इस चीज से ज्यादा महत्वपूर्ण ये है कि आप अपने बारे में क्या राय रखते हैं, क्योंकि आपको आप से बेहतर कोई ओर नहीं समझ सकता।
• कोई भी मुनष्य अपने आपको सही राह पर चला सकता है, इसलिए जब भी आपको लगे की आप गलत राह पर चल रहे हैं, तो अपनी दिशा या राह खुद बदल लें।
• तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना है। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही है।
• उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए।
• ख़ुद को कमज़ोर समझना सबसे बड़ा पाप है।
• ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हम ही हैं जो अपनी आंखों पर हांथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है।
• जीवन में अपना एक लक्ष्य पर निर्धारित करो। अपने पूरे शरीर को उस एक लक्ष्य से भर दो हर दूसरे विचार को अपनी जिन्दगी से निकाल दो। यही सफलता की कुंजी है।
• हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखिए कि आप क्या सोचते हैं।
• किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या न आए, आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं। • एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
• ज़िन्दगी का रास्ता बना बनाया नही मिलता है, स्वयं को बनाना पड़ता है। जिसने जैसा मार्ग बनाया, उसे वैसी ही मंजिल मिलती है।
• स्वामी विवेकानंद का मानना था कि आप प्रभु पर तभी यकीन कर सकते हैं जब आप स्वयं पर यकीन करेंगे यानी जिस दिन आपको खुद पर विश्वास हो जाएगा तब आप खुद ही भगवान पर भी विश्वास करना शुरू कर देंगे।
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